Maharashtra Election 2024: MVA में असली लड़ाई CM की कुर्सी की, तीनों दलों में ज्यादा से ज्यादा सीट झटकने की होड़

Maharashtra Election 2024: सैद्धांतिक रूप से यह सहमति बनी है कि जिस पार्टी के सबसे अधिक विधायक चुने जाएंगे, उसी पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलेगा।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-10-25 11:13 IST

Maharashtra Election 2024 (Pic: Social Media)

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में अभी भी 15 सीटों को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है। गठबंधन में शामिल तीनों दलों कांग्रेस, शिवसेना के उद्धव गुट और एनसीपी के शरद पवार गुट की ओर से अधिक से अधिक सीट झटकने की कोशिश की जा रही है। गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान के पीछे असली कारण मुख्यमंत्री पद की कुर्सी है।

दरअसल महाविकास अघाड़ी गठबंधन की ओर से किसी भी नेता को सीएम पद का चेहरा नहीं बनाया गया है। सैद्धांतिक रूप से यह सहमति बनी है कि जिस पार्टी के सबसे अधिक विधायक चुने जाएंगे, उसी पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलेगा। यही कारण है कि सभी दल ज्यादा ज्यादा सीट पर अपना प्रत्याशी लड़ाना चाहते हैं। इसी कारण गठबंधन में बड़ा भाई बनने के लिए तीनों दलों में जंग छिड़ी हुई है।

पवार और कांग्रेस उद्धव की दलील के खिलाफ

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे इस बात पर जोर देते रहे हैं कि विपक्षी गठबंधन को सीएम चेहरे के साथ चुनावी जंग में उतरना चाहिए। इसके पीछे उन्होंने पहले ही यह दलील दी थी कि ऐसा न करने पर गठबंधन में शामिल तीनों दलों की ओर से ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करने की कोशिश की जाएगी। उनकी पार्टी से जुड़े कई नेता उद्धव ठाकरे को सीएम चेहरा घोषित करने के लिए दबाव बनाते रहे हैं।


दूसरी ओर कांग्रेस और एनसीपी नेता शरद पवार गठबंधन की ओर से सीएम चेहरा घोषित किए जाने का विरोध करते रहे हैं। उद्धव गुट की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद शरद पवार ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि जिस पार्टी के सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि चुने जाएंगे,उस पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलेगा। वैसे उद्धव ठाकरे की ओर से दी गई दलील अब सच साबित होती दिख रही है क्योंकि तीनों दलों के बीच ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करने के लिए खींचतान मची हुई है।

15 सीटों पर कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं

महाविकास अघाड़ी गठबंधन की ओर से बुधवार को बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उद्धव गुट के नेता संजय राउत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने तीनों दलों के बीच बराबर-बराबर सीट बंटवारे का ऐलान किया था। दोनों नेताओं का कहना था कि तीनों दलों के बीच बराबर-बराबर 85-85 सीटें बांटी गई हैं। उनका कहना था कि 270 सीटों के बाद बाकी बची 18 सीटें सहयोगी और छोटे दलों को दी जाएगी।


अगर तीनों दलों के बीच बांटी गई सीटों का योग किया जाए तो वह 255 ही होता है और बाकी बची 15 सीटों को लेकर तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो सकी है। इन बाकी बची सीटों के बंटवारे से ही तय होना है कि गठबंधन में बड़ा भाई कौन होगा। इस मामले में कांग्रेस, उद्धव गुट और शरद पवार गुट कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। इसलिए इन सीटों का मामला अभी भी फंसा हुआ है।

2019 में उद्धव ठाकरे कर चुके हैं खेल

महाराष्ट्र में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अविभाजित शिवसेना का भाजपा के साथ गठबंधन था। भाजपा ने सबसे अधिक 105 सीटों पर जीत हासिल की थी। शिवसेना को 56 और एनसीपी को 54 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस के खाते में 44 सीटें आई थीं।


बाद में मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच मतभेद पैदा हो गए थे। कुछ समय बाद कांग्रेस और एनसीपी की समर्थन से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे। हालांकि बाद में शिवसेना में एकनाथ शिंदे की अगुवाई में हुई बगावत होने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। फिर भाजपा ने समर्थन देकर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवा दिया था।

लोकसभा चुनाव के नतीजे से कांग्रेस उत्साहित

सियासी जानकारों का मानना है कि शिवसेना और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर चल रही खींचतान का केंद्र बिंदु मुख्यमंत्री की कुर्सी है। जहां एक ओर शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे को एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाना चाहते हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से नाना पटोले का नाम उछाला जा रहा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस बाबत हाल में नारेबाजी भी की थी जिसके बाद नाना पटोले ने कहा था कि मुख्यमंत्री पद का फैसला कांग्रेस हाईकमान की ओर से किया जाएगा। वैसे कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के कई और नेता भी दावेदार हैं।


लोकसभा चुनाव के दौरान उद्धव गुट ने सबसे अधिक 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर पार्टी को 9 सीटों पर ही कामयाबी मिली थी। दूसरी ओर कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 13 सीटों पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद विधानसभा चुनाव को लेकर भी कांग्रेस उत्साहित नजर आ रही है और इसलिए पार्टी ने मुख्यमंत्री पद पर नज़रें गड़ा रखी हैं। सीएम की कुर्सी को लेकर चल रही इस खींचतान का असर सीट बंटवारे पर भी दिख रहा है और सीटों को लेकर अंतिम मुहर नहीं लग पा रही है। 

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