लखनऊ : देश भर में आजकल म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार और उनके विस्थापन को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। जहां कुछ मौलाना और धर्मगुरु शांति के साथ अपनी बात रख रहे है, वहीं कुछ इसे हाथ लगे खास मौके के तौर पर देख रहे हैं। वो जमकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। लेकिन इनमें से कोई भी ये कहता नहीं दिखता, कि अमीर मुस्लिम देश इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं।
क्यों वो सामने नहीं आते इन पीड़ित मुस्लिमों के लिए, क्यों अपनी सीमाएं नहीं खोल देते, क्यों अपनी तिजोरी का मुहं इनेक लिए नहीं खोलते। क्यों नहीं कहते, कि आओ हमारे पास हम तुमको रोटी रोजगार देंगे, और हमारे मौलाना भी उनकी चुप्पी पर कोई सवाल नहीं उठाते। लेकिन उन्हें इससे क्या वो तो यहां धमकी देंगे मुस्लिम इतिहास के कत्ली कारनामों को चीख चीख बताएंगे, और जब दूसरे समुदाय इनसे दूरी बना लेंगे तो भी ये उन्हें ही दोषी बना देंगे। आखिर क्यों इन्हें अपने पूर्व के कत्लो आम से इतनी मोहब्बत है।
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कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला 12 सितंबर को कोलकाता में कुछ मुस्लिम संगठन ने वहां सड़कों पर प्रदर्शन किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें करीब 30 हजार प्रदर्शनकारियों ने शिरकत की थी। इस प्रदर्शन में एक मौलाना शब्बीर अली अजाद वारसी ने कहा अगर मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं तो क्या वे कमजोर हैं? तुम अभी मुसलमानों का इतिहास नहीं जानते हो। हम लोग शिया मुस्लिम हैं, हम 72 भी होते हैं तो भी लाखों को मार सकते हैं।
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मौलाना ने केंद्र सरकार को धमकी देते हुए कहा कि दिल्ली में बैठी सरकार से कहना चाहता हूं कि रोहिंग्या हमारे भाई हैं। यह सोचने की भूल मत करो कि रोहिंग्या मुसलमान भारतीय मुसलमानों से अलग हैं। जो खून उनका है वहीं खून हमारा भी है और जो खुदा उनका है वह खुदा हमारा भी है, दुनिया में मुसलमान कहीं भी हो हम सभी भाई हैं। बंगाल से रोहिंग्या मुसलमानों को निकालने की कोशिश मत करो। ये बंगाल है, असम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मुजफ्फरपुर और मुजफ्फरनगर नहीं जो तुम यहां से रोहिंग्या मुसलमानों को भगा दोगे।
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मौलाना की इस तकरीर के बाद वहां मौजूद हुजूम ने जमकर तालियां बजाई इससे मौलाना बहक गए और उन्होंने धमकी दे डाली कि आज में चुनौती देता हूं कि किसी की मां ने वो औलाद नहीं जनी जो मुसलमानों को बंगाल से निकालकर दिखा दे।
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मेरा सवाल सिर्फ इतना है कि आप विरोध करो लेकिन अपनों को क्यों गालियां देते हो भाई। उन्हें इतिहास के उन काले पन्नों को देखने पर क्यों मजबूर करते हो, जिनमें सिर्फ मौत की चीखें छुपी हैं, अब उन्हें कोई देखना नहीं चाहता। आपकी इन्हीं बातों से समाज में खाई बनती जा रही है। आप उन अमीर मुस्लिम देशों को मजबूर करो जो इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। आप उनसे कहो न कि वो इस मुस्लिम समुदाय को अपने पास रहने और खाने का ठौर दें रोजगार दें।