Mohan Bhagwat on Caste System: 'पंडितों ने जातियां बनाईं, भगवान ने नहीं'- आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

Mohan Bhagwat on Caste System: उन्होंने कहा, "भगवान ने हमेशा कहा है कि उनके लिए हर कोई समान है और उनके लिए कोई जाति या संप्रदाय नहीं है, यह पंडितों द्वारा बनाया गया है, जो गलत है।"

Written By :  Rakesh Mishra
Update:2023-02-05 23:14 IST

RSS Chief Mohan Bhagwat (photo: social media )

Mohan Bhagwat on Caste System: देश भर में चल रहे रामचरितमानस और शूद्र विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत का एक बड़ा बयान सामने आया है। रविवार को संघ प्रमुख ने कहा है कि भगवान ने तो सभी को समान बनाया है, ये पुजारी हैं जिन्होंने जातियां और संप्रदाय बनाए हैं।

भागवत ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, "जब हम अपनी आजीविका कमाते हैं, तो समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी होती है। जब हर काम समाज के लिए होता है, तो कोई काम बड़ा या छोटा या अलग कैसे हो सकता है?"

उन्होंने कहा, "भगवान ने हमेशा कहा है कि उनके लिए हर कोई समान है और उनके लिए कोई जाति या संप्रदाय नहीं है, यह पंडितों द्वारा बनाया गया है, जो गलत है।"

भागवत संत शिरोमणि रोहिदास की 647वीं जयंती 

भागवत संत शिरोमणि रोहिदास की 647वीं जयंती के अवसर पर रविंद्र नाट्य मंदिर के सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में विवेक और चेतना सभी समान हैं, और केवल राय अलग हैं। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संत रोहिदास का कद तुलसीदास, कबीर और सूरदास से भी बड़ा है, इसलिए उन्हें संत शिरोमणि माना जाता है।

"यद्यपि वह शास्त्रथ में ब्राह्मणों को नहीं जीत सके, लेकिन वह कई दिलों को छूने में सक्षम थे और उन्हें भगवान में विश्वास दिलाता था," उन्होंने कहा। उन्होंने संत रोहिदास का आह्वान करते हुए कहा कि धर्म का आशय केवल अपना पेट भरने से नहीं है।

"अपना काम करो, और अपने धर्म के अनुसार करो। समाज को एकजुट करो और उसकी प्रगति के लिए काम करो, क्योंकि धर्म यही है। ऐसे विचारों और उच्च आदर्शों के कारण ही कई बड़े नाम संत रविदास के शिष्य बने।" आरएसएस प्रमुख ने कहा।

श्री भागवत ने कहा कि संत रोहिदास ने समाज को चार मंत्र दिए- सत्य, करुणा, आंतरिक पवित्रता और निरंतर परिश्रम और प्रयास।

"अपने आस-पास जो कुछ भी हो रहा है उस पर ध्यान दो लेकिन किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म को मत छोड़ो। जबकि धार्मिक संदेशों को संप्रेषित करने का तरीका अलग है, संदेश स्वयं एक ही हैं। व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करना चाहिए, अन्य धर्मों के लिए द्वेष के बिना," उन्होंने कहा।

रामचरितमानस पर हो रहा विवाद

भागवत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में रामचरितमानस की एक चौपाई को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। बता दें कि पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और उसके बड़ा उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास की रामचरितमानस के कुछ अंशों पर आपत्ति जताई है। मौर्य का कहना है कि सम्बंधित चौपाई में तुलसीदास शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं।

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