Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: सचिन पायलट के अनशन को कांग्रेस का रेड सिग्नल, प्रदेश प्रभारी रंधावा की स्पष्ट चेतावनी

Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: सचिन पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे शहीद स्मारक पर उपवास पर बैठने के अपने फैसले पर अभी तक अडिग है। पायलट के करीबियों के मुताबिक वे मौन व्रत के जरिए अपने मुद्दे उठाने की कोशिश करेंगे और प्रदेश की मौजूदा गहलोत सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे।

Update:2023-04-11 14:27 IST
सचिन पायलट व सीएम अशोक गहलोत ( सोशल मीडिया)

Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: राजस्थान कांग्रेस में छिड़े सियासी घमासान पर आज सबकी निगाहें राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के अनशन पर टिकी हुई हैं। सचिन पायलट ने राज्य की पूर्व वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच को लेकर आज अनशन पर बैठने का ऐलान कर रखा है। हालांकि कांग्रेस ने इस कदम को लेकर सचिन पायलट को स्पष्ट चेतावनी दे दी है। पार्टी की ओर से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इस तरह की किसी भी गतिविधि को स्वीकार नहीं किया जा सकता और ऐसा कोई भी कदम पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाएगा।

दूसरी ओर पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे शहीद स्मारक पर उपवास पर बैठने के अपने फैसले पर अभी तक अडिग है। पायलट के करीबियों के मुताबिक वे मौन व्रत के जरिए अपने मुद्दे उठाने की कोशिश करेंगे और प्रदेश की मौजूदा गहलोत सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे। अब सबकी निगाहें सचिन पायलट के कदम पर लगी हुई हैं कि वे क्या फैसला लेते हैं। वैसे चुनावी वर्ष में उनके खिलाफ एक्शन लेना कांग्रेस नेतृत्व के लिए भी आसान नहीं माना जा रहा है।

पार्टी नेतृत्व अशोक गहलोत के साथ

पायलट की ओर से रविवार को अनशन का ऐलान किए जाने के बाद ऐसे ही कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है। वैसे कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश, पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा और पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के बयानों से साफ हो गया है कि कांग्रेस नेतृत्व को सचिन पायलट की ओर से की गई यह घोषणा रास नहीं आई है। पार्टी नेतृत्व पूरी तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ खड़ा है।
पार्टी के प्रदेश प्रभारी रंधावा ने सोमवार को अनशन के मुद्दे पर सचिन पायलट से बातचीत की है। इस बातचीत के दौरान रंधावा ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पार्टी से जुड़े मुद्दे पार्टी के मंच पर ही उठाए जाने चाहिए और इस तरह सार्वजनिक रूप से उपवास के जरिए विरोध प्रदर्शन करना उचित नहीं है।

रंधावा की पायलट को स्पष्ट चेतावनी

रंधावा ने अपने बयान में स्पष्ट तौर पर कहा कि सचिन पायलट का यह उपवास पार्टी हितों के खिलाफ है और पूरी तरह पार्टी विरोधी गतिविधि है। रंधावा ने यह भी कहा कि वे पिछले करीब पांच महीने से पार्टी के प्रदेश प्रभारी हैं और इस दौरान उनकी पायलट के साथ करीब 20 बैठकें हो चुकी हैं इस दौरान उन्होंने कभी उन मुद्दों को नहीं उठाया जिनकी आज वे मीडिया के साथ चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया में चर्चा करने के बजाए इन मुद्दों पर पार्टी के भीतर चर्चा की जानी चाहिए।

अब पायलट के कदम पर सबकी निगाहें

रंधावा के इस बयान से साफ हो गया है कि पार्टी की ओर से सचिन पायलट के अनशन को रेड सिग्नल दिखा दिया गया है। अबे देखने वाली बात होगी कि सचिन पायलट इस रेड सिग्नल को पार करते हैं या नहीं और यदि पार करते हैं तो पार्टी नेतृत्व की ओर से उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। वैसे सियासी जानकारों का मानना है कि यदि पायलट ने पार्टी नेतृत्व की ओर से दी गई सलाह नहीं मानी तो भी उनके खिलाफ एक्शन लेना पार्टी नेतृत्व के लिए आसान नहीं होगा।

रंधावा ने पायलट को पार्टी के लिए धरोहर बताते हुए कहा कि राजस्थान में वे पार्टी के लिए महत्वपूर्ण किरदार हैं। दरअसल राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस पायलट के खिलाफ एक्शन लेकर पार्टी के लिए जोखिम मोल लेने का खतरा नहीं उठाना चाहेगी। भाजपा ने इस चुनाव को लेकर गहलोत सरकार की तगड़ी घेरेबंदी कर रखी है और पायलट के खिलाफ एक्शन से भाजपा को सियासी फायदा भी हो सकता है। ऐसे में सबकी निगाहें अब पायलट के कदम पर लगी हुई हैं।

अनशन के पीछे पायलट की रणनीति

दूसरी ओर पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि पायलट मौन व्रत के जरिए अपने मुद्दों पर जोर देने का प्रयास करेंगे। पायलट ने अनशन के लिए आज की तारीख का चयन भी काफी सोच-समझकर किया है। पायलट ने रविवार को यह स्पष्ट तौर पर कहा था कि 11 अप्रैल को ज्योतिबा फुले की जयंती है और इसलिए मैं 11 अप्रैल को अपनी मांगों को लेकर अनशन पर बैठूंगा। खास बात यह है कि फुले भी सैनी समुदाय से जुड़े हुए थे जिस समुदाय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ताल्लुक है।
पायलट के करीबी नेताओं ने कहा कि जिस तरह केंद्र में राहुल गांधी ने अडानी के मुद्दे को लेकर संघर्ष छेड़ रखा है, उसी तरह पायलट राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाने में जुटे हुए हैं। पार्टी की ओर से वादा किए जाने के बावजूद भ्रष्टाचार के इन मामलों की जांच की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।

नेतृत्व के मुद्दे पर दबाव बनाने की कोशिश

पायलट की ओर से किए गए अनशन के ऐलान को राज्य में नेतृत्व के मुद्दे को हल करने के लिए दबाव बनाने की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है। पायलट और उनके करीबी विधायक लंबे समय से राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर सक्रिय हैं मगर पार्टी नेतृत्व ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा है। पार्टी नेतृत्व के रुख से साफ हो गया है कि पार्टी अब चुनाव से पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर कोई विचार नहीं करना चाहती। पार्टी की ओर से अगला विधानसभा चुनाव गहलोत की अगुवाई में लड़ने का स्पष्ट संकेत भी दिया गया है।
माना जा रहा है कि इसी कारण पायलट ने अब अनशन के जरिए दबाव बनाने की कोशिश से शुरू की है। राजस्थान के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दों का समर्थन किया है। उनका कहना है कि वसुंधरा राज के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच जरूर की जानी चाहिए क्योंकि पार्टी की ओर से यह वादा किया गया था।

गहलोत के करीबी मंत्री ने साधा निशाना

इस बीच अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले राज्य के राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने सचिन पायलट का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा है। जाट ने कहा कि उन लोगों को समर्थन नहीं दिया जाना चाहिए जो अशोक गहलोत की सरकार की ओर से किए गए अच्छे कामों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

अपने कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री ने जनता की भलाई के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं और अब कुछ लोग पार्टी को ही नुकसान पहुंचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान की ओर से ही गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया है और पार्टी के सभी लोगों को उनकी अगुवाई में एकजुट होना चाहिए।

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