साध्वी कमलेश भारती ने अपने आंचल से दिया सैकड़ों बेटियों को शिक्षा का सहारा

एक साध्वी यानि भगवत भजन में लीन महिला जिसने इश्वर के लिए अपना परिवार समाज सब कुछ छोड़ दिया हो। यही छवि बनती है हमारे सामने। लेकिन, साध्वी कमलेश भारती अनाथ बच्चियों के लिए ममतामयी मां बन अपना जीवन समर्पित कर दिया। पिछले 18 वर्षों में उनके मातृ आंचल विद्यालय ने ऐसी 800 बेटियों का जीवन संवारने का काम किया।

Update: 2019-01-31 13:11 GMT

देहरादून : एक साध्वी यानि भगवत भजन में लीन महिला जिसने इश्वर के लिए अपना परिवार समाज सब कुछ छोड़ दिया हो। यही छवि बनती है हमारे सामने। लेकिन, साध्वी कमलेश भारती अनाथ बच्चियों के लिए ममतामयी मां बन अपना जीवन समर्पित कर दिया। पिछले 18 वर्षों में उनके मातृ आंचल विद्यालय ने ऐसी 800 बेटियों का जीवन संवारने का काम किया।

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कैसे आरंभ हुआ सफर

सितंबर 2000 में समाजसेवी प्रह्लाद को मथुरा रेलवे स्टेशन पर तीन साल की बच्ची लावारिस हालत में मिली। वह उसे लेकर साध्वी कमलेश भारती के पास पहुंचे और उसे अपने पास ही रखने का आग्रह किया।

कमलेश ने इसकी परवरिश आरंभ की और आरंभ हुआ एक नया सफ़र जो आज भी अनवरत चल रहा है। अब तक मातृ आंचल विद्यालय से 800 से अधिक बालिकाएं शिक्षा और संस्कार ले समाज में उजयारा फैला रही हैं। यहां अभी भी पांच से 17 साल उम्र की 75 अनाथ लड़कियां अपने जीवन को सवारने में लगी हैं। हरिद्वार के राजा गार्डन इलाके में लीज पर ली गई भूमि पर संस्था संचालित हो रही है। 17 लड़कियों का कमलेश ने विवाह भी संपन्न कराया।

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कैसे चलता है खर्च

मातृ आंचल संस्था अब एक सशुल्क स्कूल भी संचालित कर रही है। यहां में आठवीं कक्षा तक की शिक्षा दी जाती है। बच्चों को पढ़ाने के लिए नौ महिला टीचर हैं। स्कूल में पटरी दुकानदारों के बच्चे अधिक संख्या में पढ़ते हैं। एक ही परिवार के दूसरे बच्चे को फीस में 50 फीसद की छूट भी दी जाती है।

देखभाल में कोई कमी नहीं

मातृ आंचल में सारा प्रबंधन महिलाओं के पास ही है। यहां 20 से 25 महिलाओं का स्टाफ है। यहां भोजनालय, पुस्तकालय, गोशाला सहित 50 कमरे हैं।

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