Mission 2024: बिगड़ने लगा विपक्षी एकता का खेल, अडानी मुद्दे पर शरद पवार के अलग रुख से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं

Mission 2024: महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी दल एनसीपी के मुखिया शरद पवार अलग सुर अलापने लगे हैं। इस मुद्दे पर पवार ने साफ तौर पर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले में समिति गठित किए जाने के बाद अब जेपीसी की मांग करना सही नहीं है।

Update:2023-04-08 15:32 IST
Sharad Pawar (photo: social media )

Mission 2024: देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट बनाने की इन दिनों जोरदार कोशिशें की जा रही हैं। बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान संसद में मोदी सरकार को घेरने में विपक्ष ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इस कारण पूरे सत्र के दौरान संसद का कामकाज पूरी तरह बाधित रहा। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी प्रकरण को लेकर कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष एकजुट नजर आया। विपक्ष की ओर से लगातार अडानी प्रकरण को लेकर जेपीसी जांच की मांग पर जोर दिया गया जबकि सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई।

अब कांग्रेस को इस मामले में बड़ा झटका लगा है क्योंकि महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी दल एनसीपी के मुखिया शरद पवार अलग सुर अलापने लगे हैं। इस मुद्दे पर पवार ने साफ तौर पर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले में समिति गठित किए जाने के बाद अब जेपीसी की मांग करना सही नहीं है। हमें सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति पर भरोसा करना चाहिए। शरद पवार का यह रुख कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने वाला है। इसे विपक्षी एकता में बड़ी दरार के रूप में देखा जा रहा है।

अब जेपीसी जांच की मांग का औचित्य नहीं

एनसीपी मुखिया की ओर से अडानी मामले को लेकर लिया गया स्टैंड कांग्रेस और कई विपक्षी दलों के रुख के पूरी तरह विपरीत है। पवार ने एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि एक विदेशी फर्म के अडानी समूह पर आरोप लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए अपनी निगरानी में जांच कमेटी का गठन किया है। इसमें सेवानिवृत्त जज भी शामिल हैं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने समयबद्ध रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया है। ऐसी स्थिति में अब जेपीसी गठन की मांग का कोई औचित्य नहीं है। हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा करते हुए उसकी रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर भी उठाए सवाल

पवार ने हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट पर भी निशाना साधा है जिसमें अडानी समूह पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि उस शख्स की ओर से पहले भी कई आरोप लगाए गए थे जिसे लेकर संसद में हंगामा भी हुआ था। उन्होंने कहा कि इस बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।

इस बार भी जो रिपोर्ट जारी की गई है, उसका भी क्या आधार है और उसमें किन लोगों ने बयान दिए, इस पर भी गौर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी चीजों का हमारी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है और यह सबकुछ किसी को टारगेट करने के लिए किया गया लगता है।

विपक्ष की एकता को लगा बड़ा झटका

संसद के बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को घेरा था और सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे। अडानी मुद्दे को लेकर विपक्षी एकजुटता की कोशिशें परवान चढ़ रही थीं मगर अब शरद पवार ने अलग स्टैंड लेकर विपक्षी एकता में दरार का बड़ा संकेत दिया है।

शरद पवार का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट के बीच सियासी गठबंधन है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि मिशन 2024 में भी विपक्षी एकता पवार के अलग रुख से प्रभावित हो सकती है।

विपक्षी एकता में दरार का संकेत

अडानी मुद्दे को लेकर शरद पवार की ओर से अलग रुख अपनाए जाने के बाद कांग्रेस भी सतर्क हो गई है। कांग्रेस की ओर से बाकायदा इस मुद्दे पर बयान भी जारी किया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ है नेता जयराम रमेश ने कहा कि अडानी मुद्दे को लेकर एनसीपी का अलग स्टैंड हो सकता है मगर 19 विपक्षी दलों की नजर में यह मुद्दा काफी गंभीर है और सरकार की ओर से इस मामले में भ्रष्टाचार किया गया है। इसीलिए विपक्षी दलों की ओर से जेपीसी जांच की मांग की गई है।

इसके साथ ही कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि एनसीपी और अन्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ खड़े हैं और देश में लोकतंत्र को बचाने की मुहिम में पूरी तरह एकजुट है। भाजपा की बंटवारे वाली राजनीति किसी भी विपक्षी दल को मंजूर नहीं है और इसके खिलाफ विपक्षी दलों ने एकजुट होकर संघर्ष करने का फैसला किया है। सियासी जानकारों का मानना है कि अडानी मुद्दे पर शरद पवार का अलग रुख सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है और इससे मिशन 2024 में विपक्ष की एकजुटता की कोशिशों को बड़ा झटका लगता है।

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