Fertility Rate in Sikkim: सिक्किम में तेजी से गिर रही प्रजनन दर, आबादी बढ़ाने की कवायद
Fertility Rate in Sikkim: सिक्किम देश में सबसे कम आबादी वाला राज्य है। यहां पिछले कई सालों से प्रति महिला एक बच्चे की प्रजनन दर दर्ज की जा रही है।
Fertility Rate in Sikkim: सिक्किम में प्रजनन दर बहुत तेजी से गिर रही है। घटती प्रजनन दर से चिंतित राज्य सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए नए कदमों का ऐलान किया है। इनमें शिशु की देखभाल में मदद से लेकर सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष बोनस देना तक शामिल है।
सबसे कम आबादी
यह जान लीजिए कि सिक्किम देश में सबसे कम आबादी वाला राज्य है। यहां पिछले कई सालों से प्रति महिला एक बच्चे की प्रजनन दर दर्ज की जा रही है।
सीएम ने जताई चिंता
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार, सिक्किम में प्रजनन दर घटकर 1.1 हो गई है, जो 2014-15 में 1.2 थी। सिक्किम की कुल जनसंख्या सात लाख से भी कम हैं। इनमें से करीब 80 प्रतिशत मूल जातीय समुदाय से संबंधित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि अगर अभी उपाय नहीं किया गया तो भविष्य में समस्या बड़ी हो जाएगी।
कई कदमों का ऐलान
सिक्किम सरकार ने एक से अधिक बच्चे पैदा करने वाले सरकारी कर्मचारियों को वेतन बढ़ोतरी, महिला कर्मचारियों के शिशु की देखभाल के लिए एक साल तक मुफ्त केयरटेकर, एक साल की मैटरनिटी लीव, 30 दिनों की पैटरनिटी लीव, आईवीएफ की प्रक्रिया के लिए सरकारी मदद जैसे कदमों का ऐलान किया है। वहीं जिन सरकारी कर्मचारियों के दो बच्चे होंगे, उन्हें एक इंक्रीमेंट और दो तीन बच्चों वाले कर्मचारियों को दो इंक्रीमेंट मिलेंगे।यह नीति 21 जनवरी से लागू हो गई है।
इसके अलावा राज्य सरकार 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को भर्ती करेगी, ताकि उन्हें उन्हें एक साल तक सरकारी नौकरी करने वाली महिलाओं के शिशुओं की देखभाल के लिए तैनात किया जा सके। इन्हें हर महीने 10,000 रुपये दिए जाएंगे। राज्य सरकार का कहना है कि अभी यह योजना सरकारी कर्मचारियों को केंद्र में रखकर तैयार की गई है। इसका दायरा बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
आधी रह गई प्रजनन दर
सिक्किम की टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) पिछले 15 सालों में घटकर आधी (1.1) हो गई है। फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार, 20-49 साल के उम्र वर्ग के 40 प्रतिशत पुरुषों और 25 प्रतिशत महिलाओं की शादी नहीं हुई है। 15 से 49 उम्रवर्ग में दो तिहाई शादीशुदा औरतें और लगभग 60 फीसदी शादीशुदा पुरुष और बच्चे नहीं करना चाहते। 92 प्रतिशत महिलाएं और 84 प्रतिशत पुरुष दो या दो से कम बच्चों वाले परिवार को आदर्श मानते हैं।
1998-99 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-2 में सिक्किम की टीएफआर 2.8 थी, जो 2005-06 के सर्वे में घटकर 2 हो गई। 2015-16 में हुए फैमिली हेल्थ सर्वे-4 और 2019-21 में हुए में इसमें और गिरावट आई और क्रमश: 1.2 और 1.1 दर्ज की गई।जानकारों का कहना है कि सिक्किम की तरह गोवा, जम्मू-कश्मीर, पुडुचेरी, पंजाब, लद्दाख और पश्चिम बंगाल में जन्म की बजाय मृत्यु दर ज्यादा है, जिससे आबादी की औसत उम्र बढ़ रही है।
टीएफआर घटी
सिक्किम के मुख्य सचिव वीबी पाठक ने कहा है कि राज्य के नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) सर्वेक्षण ने संकेत दिया है कि टीएफआर 0.89 पर कम हो सकता है। उन्होंने कहा कि एसआरएस भारत सरकार द्वारा एक मान्य दस्तावेज नहीं हो सकता है, फिर भी यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण खोज है। 0.89 का टीएफआर बेहद चिंताजनक है। सरकार उन तरीकों पर रणनीति बना रही है जिनके द्वारा जनसंख्या को स्थिर किया जा सकता है। हम टीएफआर में लगातार गिरावट के पीछे के कारणों का पता लगाने की कोशिश भी कर रहे हैं। यह जांच करने के लिए एक अध्ययन शुरू करेंगे कि यह अनुवांशिक है या सामाजिक है।
सिक्किम सरकार द्वारा घोषित वेतन वृद्धि योजना और अन्य सभी उपाय निश्चित रूप से स्वदेशी आबादी के लिए हैं, जिनमें प्रजनन दर गिर रही है, और जनसांख्यिकीय परिवर्तन का डर है। अभी, नीति सरकारी कर्मचारियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, लेकिन राज्य सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि क्या जनता के लिए भी ऐसी वेतन वृद्धि योजना की घोषणा की जा सकती है।
सबसे कम आबादी
भारत के राज्यों में सिक्किम की आबादी सबसे कम 6.8 लाख से अधिक है। पिछले 15 सालों में इसका टीएफआर आधा हो गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि इसका मतलब यह है कि सिक्किम में हर 3-4 महिलाओं में से केवल एक ही बच्चे को जन्म दे रही है। एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के मुताबिक, 25-49 साल की महिलाओं में पहली शादी की औसत उम्र 21.5 साल थी। 20-49 आयु वर्ग में, 25 फीसदी महिलाओं और 40 फीसदी पुरुषों ने शादी नहीं की थी। राज्य के लिए फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के निष्कर्षों के अनुसार, वर्तमान में विवाहित महिलाओं में से दो-तिहाई और 15-49 वर्ष की आयु के उनके पुरुष समकक्षों में से तीन-पांचवें, और बच्चे नहीं चाहते हैं, पहले से ही नसबंदी करवा चुके हैं, या उनका पति नसबंदी करवा चुका है। 92 फीसदी महिलाएं और 84 फीसदी पुरुष आदर्श परिवार के आकार को दो या उससे कम बच्चे मानते हैं।
सिक्किम की कुल जनसंख्या वृद्धि दर 2001-2011 में 12.89 फीसदी तक गिर गई, जो 1991-2001 में 32.98 फीसदी थी। चीन की तरह, सिक्किम को भविष्य में जनसांख्यिकीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।
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पिछले साल, सिक्किम सरकार ने एक योजना शुरू की जिसके द्वारा सरकारी कर्मचारियों को आईवीएफ प्रक्रिया के लिए वित्तीय सहायता मिल सकती है। सरकार ने इसे वात्सल्य योजना कहा है। वेतन वृद्धि योजना की तरह, इसमें महिला कर्मचारियों के साथ-साथ उन पुरुष कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है जिनकी पत्नियाँ गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही हैं। सरकार एक जोड़े द्वारा प्रति चक्र 1.5 लाख रुपये की दो आईवीएफ साइकिल की लागत को वहन करेगी। अभी तक 38 महिला कर्मचारियों ने इस योजना का लाभ उठाया है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने पहले अस्थायी, तदर्थ, मस्टर रोल और कार्य-प्रभारित कर्मचारियों सहित कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश को छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दिया है।
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प्रतिस्थापन स्तर से काफी नीचे कम टीएफआर के परिणामस्वरूप आयु-संरचनात्मक परिवर्तन होगा, जिसमें राज्यों के पास प्रारंभिक वर्षों में जनसांख्यिकीय लाभांश होगा, लेकिन लंबे समय में उम्र बढ़ने वाली आबादी होगी। सिकुड़ते सक्रिय श्रम बल के साथ, में राज्य की अर्थव्यवस्था को नुकसान होने की आशंका है।
सिक्किम में न केवल उम्रदराज आबादी हो सकती है, बल्कि सिकुड़ती हुई श्रम शक्ति और लिंग-चयन प्रथाओं में वृद्धि भी हो सकती है।