किसानों पर कोरोना का खतरा: आंदोलन में शामिल किसान में दिखा वायरस का लक्षण
हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि 'बीते कुछ दिनों से यहां सर्दी खांसी, बुखार और गले के खराब होने के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। सरकार की तरफ से 10 मेडिकल टीमें तैनात की गई।
नई दिल्ली : कोरोना वायरस का खतरा सिंघु बॉर्डर पर बढ़ता जा रहा है। यहां प्रदर्शन कर रहे किसानों में सर्दी, खांसी और बुखार के मामले बढ़ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या बुजुर्ग किसानों की है। स्वास्थ्यकर्मियों की टीम किसानों को दवाई उपलब्ध भी करवाने में जुटी है। यहां लोग मास्क का उपयोग नहीं कर रहे हैं। और बीमारी को बहुत हल्के में ले रहे हैं, ऐसे में कोरोना का खतरा बढ़ रहा है।
हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि 'बीते कुछ दिनों से यहां सर्दी खांसी, बुखार और गले के खराब होने के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। सरकार की तरफ से 10 मेडिकल टीमें तैनात की गई।
सूची तैयार करने में जुटी सरकार
हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि किसानों की सूची तैयार करेंगे, जिन्हें तेज बुखार या सर्दी खांसी है। यदि कोई किसान कोरोना संक्रमित मिलता है तो उसे बेहतर इलाज सुविधा दी जाएगी। किसानों द्वारा मास्क नहीं लगाने और कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने के सवाल पर अधिकारियों कहना है कि स्थानीय जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम को स्वास्थ्य जांच के निर्देश दिए है।
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बॉर्डर पर किसान बड़ी संख्या में एकत्रित हुए हैं। ऐसे में उनकी स्वास्थ्य जांच लगातार जारी रखी जाए। पंजाब और हरियाणा के लोगों की इम्युनिटी पावर अच्छी होती है। इसलिए हमें कोई भी कोरोना से डर नहीं लगता है। प्रदर्शन स्थल पर स्वास्थ्य विभाग की टीम और एनजीओ द्वारा मुफ्त में किसानों को मास्क, साबुन, हैंड सेनेटाइजर वितरित किया जा रहा है। एनजीओ और स्वास्थ्य विभाग की टीम का कहना है कि, फ्री में देने पर भी कोई हैंड सेनेटाइजर नहीं ले रहा है। मास्क भी लोग नहीं लेते है।
बॉर्डर पर बढ़ती भीड़
फिलहाल यहां भी एक कैंप लगाया था, जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है। कोरोना के प्रकोप को देखते हुए मोबाइल वैन यहां जल्द लगाएगी। बॉर्डर पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की टीम को भी तैनात कर रखा है।
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बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का हल्लाबोल जारी है। दिल्ली बॉर्डर पर किसान 8 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसान केंद्र सरकार के इन कानूनों को काला कानून बता रहे हैं। बीमारी के लिए डॉक्टरों की टीम ड्यूटी पर है। इमरजेंसी की स्थिति के लिए डॉक्टर और एम्बुलेंस भी हैं। हर दिन शिफ्ट के मुताबिक स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी लग रही है। सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। सैकड़ों किसान बिना दूरी के साथ खाना खा रहे हैं और जत्थों में रह रहे हैं। चेहरे पर मास्क नहीं पहनने के सवाल पर किसानों का कहना है कि, यहां कोई कोरोना नहीं है। सभी ठीक हैं।