सोनिया का एलान: कांग्रेस करेगी बड़ा आंदोलन, केंद्र सरकार के खिलाफ ये होगा बड़ा मुद्दा
कांग्रेस महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों के साथ हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार देश के लोगों का अधिकार मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने में जुटी हुई है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर एक बार फिर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि मौजूदा समय में भारतीय लोकतंत्र सबसे मुश्किल दौर में गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार दबे कुचले लोगों की आवाज को दबाने में जुटी हुई है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यही नया राजधर्म है?
उन्होंने कृषि कानून और महिला एवं दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर पार्टी के नए आंदोलन का भी ओलान किया। पार्टी 31 अक्टूबर को पूरे देश में किसान अधिकार दिवस और 5 नवंबर को महिला एवं दलित उत्पीड़न विरोधी दिवस मनाएगी।
नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताया
कांग्रेस महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों के साथ हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार देश के लोगों का अधिकार मुट्ठी भर पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने में जुटी हुई है। किसानों की आवाज को दबाकर सरकार की ओर से तीन कृषि कानून बना दिए गए।
उन्होंने इन कानूनों को कृषि विरोधी और काला कानून बताते हुए कहा कि हरित क्रांति के जरिए जो फायदे हासिल किए गए थे, उन्हें नष्ट करने की साजिश रची जा रही है।
लोकतांत्रिक परंपराओं पर हमला
पार्टी के महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों की इस बैठक में कृषि कानून और दलितों पर अत्याचार के मामलों को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा पर चर्चा की गई।
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बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत गंभीर बनी हुई है। सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह है कि संवैधानिक और लोकतांत्रिक परंपराओं पर सरकार की ओर से हमला किया जा रहा है।
सरकार कर रही मजदूरों की अनदेखी
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने मजदूरों को दर-दर की ठोकर खाने पर मजबूर कर दिया है। सरकार की ओर से कोई योजना न बनाए जाने के कारण करोड़ों प्रवासी श्रमिकों का पलायन हुआ है और सरकार ने मजदूरों की दिक्कतों से मुंह मोड़ लिया है। सरकार के आंखें मूंद लेने से मजदूरों की दिक्कतें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
चुप होकर नहीं बैठ सकती कांग्रेस
पिछले महीने कांग्रेस में किए गए बड़े फेरबदल के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने पहली बार महासचिवों और राज्य प्रभारियों की बैठक की। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों की आवाज को दबाने में जुटी हुई है। सरकार ने नए कृषि कानूनों के जरिए भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की बुनियाद को हिलाने का काम किया है। ऐसे में कांग्रेस चुप होकर नहीं बैठ सकती।
31 को किसान अधिकार दिवस मनाएगी पार्टी
बैठक के बाद महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी किसानों, दलितों और महिलाओं के मुद्दे पर आंदोलन जारी रखेगी। इसके लिए पार्टी ने 31 अक्टूबर को किसान अधिकार दिवस मनाने का फैसला किया है।
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इस दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के साथ ही लौह पुरुष सरदार पटेल का जन्मदिन भी है। पार्टी की ओर से सभी राज्य इकाइयों को 31 अक्टूबर को सत्याग्रह और उपवास करने के निर्देश दिए गए हैं।
महिलाओं व दलितों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया
वेणुगोपाल ने बताया की पार्टी ने महिलाओं एवं दलितों के उत्पीड़न के मुद्दे पर 5 नवंबर को विरोध दिवस मनाने का फैसला किया है। इस दिन पार्टी की ओर से राज्य स्तर पर धरना दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस बार पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर को दिवाली पड़ रही है। इसलिए पंडित नेहरू के जन्मदिन से एक दिन पहले पार्टी की ओर से प्रदेश मुख्यालयों पर नेहरू और उनके योगदान पर सम्मेलन किया जाएगा।
हस्ताक्षर अभियान को और तेज करने का फैसला
इसके साथ ही पार्टी ने कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में हस्ताक्षर अभियान और तेज करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की किसान, महिला और जन विरोधी नीतियों के खिलाफ पार्टी चुप नहीं बैठेगी और इसके खिलाफ लगातार संघर्ष किया जाएगा।
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