Nehru Gandhi Family: राजनीति में मुफीद रहा है नेहरू गांधी परिवार के लिए दक्षिण भारत
Nehru Gandhi Family: दक्षिण भारत ने कांग्रेस का साथ दिया है। फिर चाहे वह इंडिया गांधी हो सोनिया गांधी हो राहुल गांधी हो या अब चुनाव मैदान में उतरने जा रही प्रियंका गांधी ही क्यों न हों।
Nehru Gandhi Family: नेहरू गांधी परिवार का दक्षिण भारत से गहरा नाता रहा है। जब कभी भी उत्तर भारत कुछ कमजोर दिखाई पड़ा तो दक्षिण भारत ने कांग्रेस का साथ दिया है। फिर चाहे वह इंडिया गांधी हो सोनिया गांधी हो राहुल गांधी हो या अब चुनाव मैदान में उतरने जा रही प्रियंका गांधी ही क्यों न हों। प्रियंका गांधी अपने राजनीतिक कैरियर का पहला चुनाव केरल की वायनाड सीट से लडने जा रहीं हैं।
याद कीजिए जब 1977 में आपातकाल के बाद लोकसभा के चुनाव हुए तो उत्तर भारत में कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई थी। इस चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रायबरेली और उनके पुत्र संजय गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे। तब लोकसभा में इंट्री पाने के लिए इंदिरा गांधी 1978 का उपचुनाव कर्नाटक के चिकमगलूर से जीतीं थीं। इसके बाद 1980 में भी इंदिरा ने आंध्र प्रदेश के मेडक सीट से जीत हासिल कर सत्ता में जबरदस्त वापसी की थी।
इसके बाद 1980 में भी इंदिरा ने आंध्र प्रदेश के मेडक सीट से जीत हासिल कर सत्ता में जबरदस्त वापसी की थी।इसी तरह 1999 में जब सोनिया गांधी ने बेल्लारी से चुनावी राजनीति की शुरुआत की थी, तब भाजपा ने इस सीट से सुषमा स्वराज को टिकट देकर चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया था। सोनिया गांधी ने इस सीट से भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज को हराने का काम किया था।हांलकि, बाद में बेल्लारी सीट उन्होंने छोड़ दी थी। सोनिया गांधी को 414000 वोट मिले थे। जबकि भाजपा की सुषमा स्वराज ने साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोट हासिल किए थे। सोनिया गांधी इस चुनाव में करीब 56000 वोट से चुनाव जीत पाई थीं।अब एक बार फिर इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए प्रियंका गांधी भी दक्षिण भारत की वायनाड सीट से चुनाव लडने जा रहीं हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को केरल की वायनाड लोकसभा सीट से इस्तीफा देने और प्रियंका गांधी के चुनाव लडने की घोषणा के बाद दक्षिण भारत में कांग्रेस को और ताकत मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन और राहुल गांधी के वायनाड से सांसद होने का कुछ खास असर केरल चुनाव के नतीजों पर नहीं दिखा।उधर कांग्रेस का मानना है कि केरल और वायनाड ने 2019 और 2024 दोनों लोकसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस का जमकर साथ दिया. केरल के लोगों ने लोकसभा में सीटों से कांग्रेस की झोली भर दी। राहुल गांधी उस आधार को खोना नहीं चाहते। इसलिए भी प्रियंका गांधी को टिकट देना सियासी मजबूरी बन गई थी। वहीं दूसरी तरफ एक बार इंडिया गठबंधन का वजूद बने रहने पर सवाल उठने लगे हैं। भाकपा की केरल इकाई के प्रदेश सचिव विनाय विश्वम ने संवाददाताओं से कहा कि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) में शामिल भाकपा के खाते में वायनाड लोकसभा सीट है और हम इस सीट पर निश्चित तौर पर अपना प्रत्याशी उतारेंगे । जबकि कांग्रेस को लग रहा है कि प्रियंका गांधी के वायनाड में होने का सकारात्मक असर केरल चुनाव में देखने को मिलेगा और पार्टी को उनके यहां होने से चुनाव अभियान में भी मदद मिलेगी.बताएं चलें कि कांग्रेस की नेतृत्व वाला गठबंधन केरल की सत्ता से दूर है। 2021 के केरल चुनाव में भी लेफ्ट गठबंधन ने लगातार दूसरी बार सरकार चलाने का जनादेश हासिल किया था
राहुल के वायनाड सीट छोड़ने के साथ ही साफ हो गया कि यहां होने वाले उपचुनाव में विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के दल एक बार फिर आमने-सामने होंगे। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में भी भाकपा की वरिष्ठ नेता एनी राजा हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के खिलाफ वायनाड से चुनाव लड़ा था। राहुल गांधी ने उन्हें 3.64 लाख मतों से शिकस्त दी थी। इस बार भाकपा एनी राजा को ही मैदान में उतारेगी या फिर प्रियंका के खिलाफ किसी अन्य पर दांव लगाएगी।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे वायनाड उपचुनाव के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा की उम्मीदवारी की घोषणा कर चुके हैं जबकि मंगलवार की आइएनडीआइए के घटक दल भाकपा ने भी साफ कर दिया कि वह वायनाड लोकसभा उपचुनाव में प्रियंका वाड्रा के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारेगी।भाकपा की केरल इकाई के प्रदेश सचिव विनाय विश्वम ने संवाददाताओं से कहा कि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) में शामिल भाकपा के खाते में वायनाड लोकसभा सीट है और हम इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेंगे। विश्वम ने कहा कि कांग्रेस को किसी भी क्षेत्र में अपना उम्मीदवार चुनने की पूरी स्वतंत्रता है।लोकसभा सचिवालय ने बताया कि राहुल का इस्तीफा 18 जून से स्वीकार कर लिया गया है।