Maharashtra News: उद्धव गुट को स्पीकर का झटका, शिंदे गुट को बताया असली शिवसेना

Maharashtra News: 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला सुनाते हुए विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना का 1999 का संविधान की सर्वोपरि है। हम उनका 2018 का संशोधित संविधान स्वीकार नहीं कर सकते।

Update: 2024-01-10 13:06 GMT

स्पीकर बोले-चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी शिंदे गुट ही असली शिवसेना: Photo- Social Media

Maharashtra News: 10 जनवरी 2024 यानी बुधवार का दिन महाराष्ट्र की राजनीति के लिए बड़ा महत्वपूर्ण रहा। महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में 1200 पन्नों का फैसला सुनाया। स्पीकर ने अपने फैसले में शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना। इसके साथ ही 16 विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग वाली याचिका को भी सिरे से खारिज कर दी। स्पीकर ने फैसले के अहम बिंदुओं को पढ़ते हुए कहा कि जब पार्टी में बंटवारा हुआ था, तब शिंदे गुट के पास 37 विधायकों का समर्थन था। ऐसे में उनके नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने भी इसे मान्य करार दिया था।

इन चीजों पर विचार करना जरूरी

फैसला सुनाते हुए स्पीकर ने कहा कि इस मामले में कुछ चीजें हैं जिन्हें समझना जरूरी है और वे हैं-पार्टी का संविधान क्या कहता है। जब पार्टी में टूट हुई उस समय नेतृत्व किसके पास था। इसके अलावा एक बड़ी चीज जो है वह यह कि विधानमंडल में बहुमत किसके पास था। उन्होंने यह भी कहा कि इन सबके अलावा साल 2018 में शिवसेना के संविधान के मुताबिक की गई नियुक्तियों पर भी विचार किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि दोनों गुट ही असली शिवसेना होने का दावा कर रहे थे। ऐसे में मेरे सामने असली मुद्दा पार्टी पर असली दावे का था। ऐसे में चूंकि चुनाव आयोग ने शिवसेना को असली दल माना था। इसको देखते हुए मैनें भी उसे ही आधार बनाया है।

2013 और 2018 में नहीं हुए संगठन के चुनाव

फैसले को पढ़ते हुए राहुल नार्वेकर ने कहा कि जब मैनें शिवसेना पर दोनों गुटों के दावे के संबंध में पड़ताल की तो पता चला कि शिवसेना संगठन में 2013 और 2018 में कोई चुनाव नहीं हुए। इसके अलावा, 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। इस वजह से हमने शिवसेना के 1999 के संविधान को ही मान्य किया है। चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी शिंदे गुट ही असली शिवसेना है।

शिंदे गुट ही असली शिवसेना

विधानसभा स्पीकर ने असली पार्टी की उद्धव गुट की दलील को भी खारिज कर दिया। उन्होंने निष्कर्ष देते हुए कहा कि जब बागी गुट बना उस समय शिंदे गुट ही असली शिवसेना था। 22 जून के मुताबिक शिंदे गुट ही असली शिवसेना के रूप में मान्य है। स्पीकर के इस फैसले से उद्धव गुट को बड़ा झटका लगा है।

हटाने का फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी का होना चाहिए था

विधानसभा स्पीकर ने आगे कहा कि पार्टी के संविधान के मुताबिक मुख्यमंत्री शिंदे को उद्धव गुट हटा नहीं सकते। संविधान में विधायक दल के नेता को हटाने का कोई प्रावधान संविधान में नहीं है। जब पार्टी में टूट हुई यानी 21 जून को एकनाथ शिंदे विधायक दल के नेता थे। इसके अलावा, शिंदे को हटाने का फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी का होना चाहिए था। राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर उद्धव गुट का रुख साफ नहीं है। इसी के साथ 25 जून 2022 के कार्यकारिणी के प्रस्तावों को स्पीकर ने अमान्य करार दिया।

भरत गोगावले की व्हिप के रूप में नियुक्ति वैध

इसके साथ ही स्पीकर ने भरत गोगावले की व्हिप के रूप में नियुक्ति को भी वैध ठहराया है। स्पीकर ने 1200 पन्नों के फैसले को पढ़ते हुए कहा कि सुनील प्रभु को जब चीफ व्हिप नियुक्त किया गया था, तब पार्टी का विभाजन हो चुका था। चूंकि चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना है, ऐसे में चीफ व्हिप के रूप में भरत गोगावले की नियुक्ति सही है। सुनील प्रभु को विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार नहीं था।

एकनाथ शिंदे नियमानुसार पार्टी के नेता बने- स्पीकर

स्पीकर राहुुल नार्वेकर ने विधायकों की अयोग्यता की याचिका खारिज कर दी। इस पर फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब पार्टी में बंटवारा हुआ था उस समय शिंदे के समर्थन में 37 विधायक थे। उन्होंने यह भी कहा कि एकनाथ शिंदे नियमानुसार पार्टी के नेता बने। 21 जून को ही एकनाथ शिंदे पार्टी के नेता बन गए थे।

विधायकों की अयोग्यता की याचिका को किया खारिज

विधानसभा स्पीकर ने विधायकों की अयोग्यता की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि 21 जून की एसएसएलपी बैठक से विधायकों की अनुपस्थिति को आधार बनाकर विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। कहा कि चूंकि चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना है तो ऐसे में उस समय चीफ व्हिप के रूप में भरत गोगावले नियुक्त थे तो सुनील प्रभु को विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार नहीं था। इस आधार पर विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

स्पीकर के फैसले के बाद उद्धव गुट को तगड़ा झटका लगा हैं। स्पीकर के फैसले का लगभग सभी पार्टियों को इंतजार था। जब स्पीकर का फैसला आया तो जहां उद्धव गुट में निराशा दिखी तो वहीं शिंदे गुट में खुशी का माहौल था।

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