भारत के इस शहर में 17 लोगों को लगाई गई रूस की स्पुतनिक वैक्सीन

स्पुतनिक टीका गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलोजी एंड माइक्रोबायोलॉजी और रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) द्वारा मिलकर डेवलप किया गया है।

Update:2020-12-07 11:16 IST
नोबल अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. राउत ने बताया कि कुल 17 स्वयंसेवकों को टीका लगाया गया है। इस क्लीनिकल ट्रायल के लिए ऑनलाइन पंजीकरण हुआ था।

पुणे: कोरोना के खिलाफ जंग अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। भारत, पाकिस्तान, नेपाल और अमेरिका समेत कई देशों में अभी भी कोरोना के केस सामने आ रहे हैं।

दुनियाभर में वैक्सीन के बारे में चल रही जबरदस्त चर्चा के बीच कई देशों में अब कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू भी हो गई है।

इसी कड़ी में रूस की स्पुतनिक वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का दौर भारत में भी शुरू हो गया है। महराष्ट्र के पुणे में 17 लोगों को स्पुतनिक वैक्सीन लगाई गई है।

कोरोना टेस्ट (फोटो:सोशल मीडिया)

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मानव परीक्षण के तहत 17 वॉलंटियर्स को लगाई गई ये वैक्सीन

जिन लोगों को ये वैक्सीन लगाई गई है। वे सभी वॉलंटियर्स हैं। पुणे के नोबल अस्पताल में मानव परीक्षण के तहत इन सभी लोगों को स्पुतनिक की कोरोना वैक्सीन लगाई गई है।

बताते चलें कि स्पुतनिक टीका गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलोजी एंड माइक्रोबायोलॉजी और रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) द्वारा मिलकर डेवलप किया गया है।

इस बारें में मीडिया से बात करते हुए नोबल अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. राउत ने बताया कि कुल 17 स्वयंसेवकों को टीका लगाया गया है। इस क्लीनिकल ट्रायल के लिए 27 स्वयंसेवकों ने ऑनलाइन पंजीकरण द्वारा अपने नाम पहले से ही रजिस्ट्रर्ड कराए थे।

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कोरोना टेस्ट (फोटो:सोशल मीडिया)

वैक्सीन लगने के बाद कुछ दिन रहना होगा अस्पताल में

सभी 27 लोगों ने परीक्षण में भाग लिया लेकिन इनमें से केवल 17 को मंजूरी दी गई। इन 17 लोगों में से किसी को भी कोई लक्षण नहीं था, ना ही इनमें कोरोना पॉजिटिव पाया गया। उनका चयन निर्धारित मानदंडों के अनुसार किया गया था क्योंकि वे स्वस्थ होने चाहिए थे।

जिन्हें टीका लगाया गया है, वे सभी अगले कुछ दिन तक डॉक्टरों की मानिटरिंग में रहेंगे। उन्होंने बताया कि नोबेल अस्पताल में वैक्सीन के फेज 2 ट्रायल की शुरुआत हो गई है।

कोरोना के इलाज में ये दवाइयां सफल

भारत में एक अच्छी खबर सामने आई है। कोरोना वायरस के हल्के एवं मध्यम लक्षणों वाले रोगियों का आयुर्वेद की चार दवाओं के इस्तेमाल से इनका इलाद संभव है।

आयुष मंत्रालय के दिल्ली में स्थित अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के जर्नल आयु केयर में एक केस स्टडी प्रकाशित की गई है जिसमें यह दावा किया गया है।

इन चार दवाओं में आयुष क्वाथ, संशमनी वटी, फीफाट्रोल और लक्ष्मीविलास रस शामिल हैं। आयु केयर जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, यह केस स्टडी एक 30 वर्षीय स्वास्थ्यकर्मी की है, जो कोरोना संक्रमित था जिसमें मध्यम लक्षण थे।

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