नई दिल्ली। बचपन से हम सुनते आ रहे हैं, अयोध्या के युवराज राम की पत्नी का लंका के रावण नाम के एक असुर राजा ने अपहरण कर लिया था। राम ने वानरों की सहायता से लंका पर चढ़ाई कर अपनी पत्नी सीता को मुक्त कराया था। राम के मर्यादा पुरुषोत्तम बनने की कहानी लंका के बिना पूरी नहीं हो सकती है। रामायण ग्रंथ लंका के बिना अधूरा है। इसलिए हर हिन्दू की चाहत लंका को एक बार देखने की जरूर होती है। लंका को जानना, देखना व समझना हर हिन्दू के लिए किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं है। हिन्दू तीर्थ यात्रियों के लिए श्रीलंका की यात्रा आसान बनाने का प्रस्ताव श्रीलंका की ओर से भारत सरकार के सामने रखा गया है। श्रीलंका के सांसद एस.योगेश्वरन ने दिल्ली में एक कायऱ्क्रम में यह जानकारी दी।
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राजधानी के कॉंन्सिटयूशन क्लब में योगेशवरन ने भारत और श्रीलंका के गरीब हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए भारत सरकार से दोनों देशों के बीच सस्ती समुद्री जहाज यात्रा सेवा शुरू करने की मांग की है। हिन्दू स्ट्रगल कमेटी की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में योगेश्वरन ने कहा कि श्रीलंका सरकार इसके लिए लगभग तैयार है, अब भारत को पहल करनी है। इस संबंध में परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी को दोनों देशों के तीर्थयात्रियों ने ज्ञापन और प्रार्थना पत्र भिजवाया है।
मोदी सरकार से उम्मीदें
योगेश्वरन ने लिट्टे आतंकवाद के सफाये की आड़ में युध्द अपराधों से पीडि़त लोगों के दर्द को भी रेखांकित किया तथा उनके मानवाधिकारों की रक्षा की अपील की। उन्होंने कहा कि उन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार से बहुत उम्मीदें हैं। मोदी जी ने श्रीलंका के तमिल लोगों के लिए जाफना में 27000 घर बनाकर दिए जो पीडि़तों के आंसू पोंछने का एक बड़ा प्रयास था मगर अभी पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
सरकार से ठोस कदम की उम्मीद
हिन्दू संघर्ष समिति के अध्यक्ष अरुण उपाध्याय ने कहा कि भारत के बहुसंख्यक समुदाय की वर्षों से चाहत थी कि जल मार्ग के जरिये दोनों देशों के तीर्थ यात्रियों के लिए यात्रा को सुगम बनाया जाए। अच्छा है कि प्रस्ताव श्रीलंका की तरफ से आया है। दोनों देशों के पारस्पारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए यह सकारात्मक प्रयास है। उम्मीद है कि भारत सरकार इस पर जल्दी ही कोई ठोस कदम उठाएगी। उन्होंने श्रीलंका मे बढ़ते धार्मिक समूहों के असंतुलन पर भी चिंता जताई। उन्होंने इस पर गहरा असंतोष जताते हुए कहा कि श्रीलंका में बौध्द और हिन्दू धार्मिक स्थलों पर आक्रमण और तोडफ़ोड़ बढ़ी है जो गंभीर चिंता का विषय है। श्रीलंका सरकार इस पर तुरंत लगाम लगाएं।
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समझौते का पालन हो
श्रीलंका के सामाजिक कार्यकर्ता प्रोफेसर डा.एम.के.सच्चिनाथन ने कहा कि श्रीलंका में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी और जयवर्धने के बीच हुए 1987 के समझौते का ठीक से पालन होना बहुत जरूरी है। इसके लिए भारत सरकार गंभीरता के साथ श्रीलंका के वर्तमान नेतृत्व पर दवाब बनाए ताकि भारत-श्रीलंका के बीच दीर्घकालीन विश्वास पैदा हो सके। उन्होंने सभी तमिल राजनीतिक कैदियों के साथ न्यायपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाने की भी अपील की।
शत्रुतापूर्ण व्यवहार की निंदा
तमिलनाडु के हिन्दू नेता अर्जुन संपत ने भारतीय मछुवारों के साथ श्रीलंका की नौसेना के शरारतपूर्ण और शत्रुतापूर्ण व्यवहार की निंदा की तथा भारत सरकार से इस मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता में उठाने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि श्रीलंका ने हिन्द महासागरीय जल क्षेत्र के बड़े हिस्से को अंतरराष्ट्रीय ताकतों को लीज और कॉन्ट्रेक्ट पर दे दिया है जिससे दोनों देशों के संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ता है। समिति के उपाध्यक्ष दीक्षा कौशिक ने कार्यक्रम का संचालन किया। परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे देवेन्द्र दीवान ने दक्षिण भारतीय इस्लामिक अतिवादियों द्वारा श्रीलंका की धरती के भारत के खिलाफ हो रहे दुरुपयोग पर गहरी चिंता जताई। पूर्व राज्यसभा सदस्य, संघ के मुख पत्र पांचजन्य के पूर्व संपादक तरूण विजय ने कहा कि इस परिचर्चा के आयोजन का स्वागत किया।