IIT पटना के शशांक ने 'देहात' नामक स्टार्ट-अप शुरु की, PM मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

शशांक ने वर्ष-2011 में पहली बार बिहार के वैशाली में ‘देहात’ का सेंटर खोला। कुछ ही दिनों में उसे अपने काम में सफलता मिलने लगी। उसके बाद उसने क्रमवार तरीके से बेतिया, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर व समस्तीपुर में अपना सेंटर खोला। एक सेंटर से शुरू “देहात” आज 134 का आंकड़ा पार कर चुका है।

Update: 2019-02-22 10:59 GMT

पटना: आज के समय में जब सारी दुनिया रुपये-पैसे के पीछे भाग रही है। किसका पैकेज कितना ज्यादा हो जाये, इस बात की होड़ लगी है। ऐसे में आईआईटी से पास आउट शशांक और उसके चार दोस्तों ने एमएनसी की मोटी तनख्वाह वाली जॉब छोड़कर किसानों के लिए काम करने के बारें में सोचा।

उन्होंने शहरी कृषि बाजार में उपलब्ध तमाम चीजों को घर बैठे मुहैया कराने के लिए ‘देहात’ नाम से अपना खुद का एक स्टार्ट-अप शुरू किया। जो आज 52 हजार किसानों को सुविधा देने के साथ ही 82 युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा चुकी है। पीएम नरेंद्र मोदी भी शशांक के स्टार्ट-अप की तारीफ कर चुके है। तो आइये विस्तार से जानते है ‘देहात’ स्टार्ट-अप के बारें में:-

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ऐसे आया ‘देहात’ स्टार्ट-अप का आइडिया

शशांक मूल रूप से बिहार अंतर्गत छपरा जिले के बनियापुर गांव के रहने वाले है। वह आईआईटी में पढ़ाई के दिनों में ही हमेशा से कुछ अलग करने के बारें में सोचा करते थे। गांव में आने पर लोगों को खेतों में काम करते देख उनके मन में होता था कि क्यों न कोई ऐसा काम शुरू किया जाये, जिससे किसानों को घर बैठे ही शहरी कृषि बाजार में उपलब्ध तमाम चीजें आसानी से उपलब्ध हो सके। बस इसी आइडिया को लेकर शशांक आगे बढ़े और बाद में ‘देहात’ स्टार्ट-अप की शुरुआत हुई। इस काम में उन्हें अपने आईआईटी दोस्तों का भी साथ मिला।

स्टार्ट-अप के लिए छोड़ दी एमएनसी की जॉब

शशांक ने अपने स्टार्ट-अप के आइडिया को अपने दोस्त मनीष के साथ शेयर किया। उसे भी शशांक का आइडिया काफी पसंद आया। उस वक्त दोनों एक एमएनसी में जॉब करते थे। दोनों ने अपनी जॉब छोड़ दी।

उन्होंने 2011 में ‘देहात’ स्टार्ट-अप की शुरुआत की। बाद में जमशेदपुर के अमरेंद्र और धनबाद के आदर्श भी उनके साथ इस काम में जुड़ गये। शशांक और मनीष ने नाबार्ड से 9.5 लाख लोन लिया। बीज, खाद व कीटनाशक मंगवाकर वैशाली के एक किसान को मिट्टी की जांच रिपोर्ट के आधार पर राजमा की फसल लगाने को तैयार किया। किसान ने परंपरागत दो फसल की जगह तीन फसलें लीं। एक साल में मुनाफा दोगुना हो गया।

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2011 में वैशाली में खोला गया पहला सेंटर

शशांक ने वर्ष-2011 में पहली बार बिहार के वैशाली में ‘देहात’ का सेंटर खोला। कुछ ही दिनों में उसे अपने काम में सफलता नजर आने लगी।

उसके बाद उसने क्रमवार तरीके से बेतिया, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर व समस्तीपुर में अपना सेंटर खोला। एक सेंटर से शुरू “देहात” आज 134 का आंकड़ा पार कर चुका है।

अप्रैल तक मोतिहारी, कटिहार व भागलपुर में देहात सेंटर खोलने की तैयारी है। शशांक का साथ बिहार के ही उनके चार आइआइटीयन दोस्त दे रहे हैं। मनीष आइआइटी खड़गपुर के छात्र रहे हैं।

घर बैठे ही कर सकते हैं बुकिंग

किसान अगर चाहे तो ‘देहात’ के हेल्पलाइन नंबर (180030105343) पर सुबह 8 से शाम 6 बजे तक फोन कर परामर्श लेने के साथ बीज, खाद, कीटनाशक आदि की बुकिंग करा सकते हैं। यही नहीं, यदि किसान चाहे तो उसके बुलावे पर कृषि के एक्सपर्ट उसके खेत तक जाते हैं और निशुल्क परामर्श देते है।

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फ्रेंचाइजी के लिए नहीं देना होता है कोई शुल्क

शशांक के मुताबिक ऐसा कोई भी व्यक्ति, जिसके पास इंटरनेट कनेक्शन, कंप्यूटर या लैपटॉप हो, वह मुफ्त में इसकी फ्रेंचाइजी लेकर अपना देहात सेंटर खोल सकते हैं। पटना व गुरुग्राम (हरियाणा) में कॉल सेंटर बनाया गया हैं।

भारत की ब्रांडिंग करने का मिल चुका है मौक़ा

वर्ष-2016 की बात रही होगी। शशांक रोज की तरह ही अपने स्टार्ट-अप के काम में व्यस्त थे। अचानक एक दिन उनके पास फोन आया। जिसमें उन्हें बताया गया कि उन्हें पीएमओ जल्द पहुंचना है। पीएम नरेंद्र मोदी उनके स्टार्ट-अप ‘देहात’ के सिलसिले में उनसे कुछ बात करना चाहते है।

उस वक्त शशांक की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने इसके लिए हामी भर दी। जब शशांक ने पीएम मोदी से जाकर मुलाकात की। तब उन्होंने शशांक के काम की काफी तारीफ की थी और केन्या जाकर भारत प्रतिभा की ब्रांडिंग करने के लिए कहा था।

शशांक इसके लिए राजी हो गये थे। जिसके बाद जुलाई 2016 में शशांक को पीएम अपने साथ केन्या ले गए। वहां उन्होंने देहात की अवधारणा को समझा कर भारतीय प्रतिभा की दमदार ब्रांडिंग भी की थी।

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