Sukhoi 30 MKI: जबरदस्त लड़ाकू विमान है सुखोई 30, ये बड़ी खासियत

Sukhoi 30 MKI: इस विमान ने 1997 में पहली उड़ान भरी थी। 2002 में इसे भारतीय वायुसेना में सम्मिलित कर लिया गया।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-01-28 14:20 IST

Sukhoi 30 MKI crash in MP (photo: social media )

Sukhoi 30 MKI: सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। इस के नाम में स्थित एमकेआई का मतलब 'मॉडर्नि रोबान्बि कॉमर्स्कि इंडिकि' है यानि आधुनिक व्यावसायिक भारतीय विमान।

कई देशों के पास हैं ये विमान

इसी श्रृंखला के सुखोई 30 एमकेके तथा एमके2 विमानों को चीन तथा बाद में इण्डोनेशिया को बेचा गया था। इसके अलावा एमकेएम, एमकेवी तथा एमकेए संस्करणों को मलेशिया, वेनेजुएला तथा अल्जीरिया को भी बेचा गया है। इस विमान ने 1997 में पहली उड़ान भरी थी। 2002 में इसे भारतीय वायुसेना में सम्मिलित कर लिया गया। 2004 से इनका निर्माण भारत में ही हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

कुल 280 विमान बनाने की योजना

अकतूबर 2009 में ऐसे 105 विमानों की 6 स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना की सेवा में थी। ऐसे कुल 280 हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाये जाने की योजना है। यह विमान 3000 किमी की दूरी तक जा कर हमला कर सकता है। इसे शक्ति इसके दो एएल 31 टर्बोफैन इंजनों से मिलती है जो इसे 2600 किमी प्रति घण्टे की गति देते हैं। यह विमान हवा में ईन्धन भर सकता है। इस विमान में अलग अलग तरह के बम तथा प्रक्षेपास्त्र ले जाने के लिये 12 स्थान हैं। भविष्य में इसे ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र और स्पाइस 2000 लेजर निर्देशित बमों से लैस किया जायेगा। इसके अतिरिक्त इसमे एक 30 मिमी की तोप भी लगी है।

सुखोई विमान की ताकत

- दुनियाभर के 10 खतरनाक लड़ाकू विमानों में इसकी गिनती की जाती है। इसे 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान माना जाता है।

- इस विमान की लंबाई 72 फीट है। विंगस्पैन 48.3 फीट है। ऊंचाई 20.10 फीट है और वजन 18,400 किलोग्राम है।

- सुखोई-30 में लीयुल्का एल-31एफपी आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन लगे हैं, जो उसे 123 किलोन्यूटन की ताकत देता है।

- इस विमान की अधिकतम गति 2120 किलोमीटर प्रतिघंटा है, जबकि ज्यादा ऊंचाई पर रेंज 3000 किलोमीटर है। वहीं अगर बीच रास्ते में ईंधन भर दिया जाए तो ये 8000 किलोमीटर की रेंज तक जा सकता है।

- यह विमान अधिकतम 56,800 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। सुखोई-30 में एक ग्रिजेव-शिपुनोव ऑटोकैनन लगी है, जो सिर्फ 1 मिनट में 150 राउंड फायर करती है।

सुखोई का अपग्रेडेशन

सुखोई बेड़े को अपग्रेड करने के लिए 4 अरब डॉलर की जरूरत है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने पहले ही अपग्रेड प्रोग्राम का प्रस्ताव दिया है, जिसे जल्द ही सरकार द्वारा अनुमोदित किए जाने की उम्मीद है। एचएएल नोडल एजेंसी के तौर पर करीब 150 पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को सुपर सुखोई के तौर पर अपग्रेड करेगी। इस अपग्रेडेशन के बाद भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। भविष्य के हवाई युद्ध में इसे प्रासंगिक बनाए रखने के लिए वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई को अपग्रेड करना जरूरी हो गया है क्योंकि इसका सॉफ्टवेयर बहुत तेजी से खराब हो रहा है। वायुसेना को उम्मीद है कि पहला सुपर सुखोई विमान 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा।

150 विमानों का अपग्रेडेशन

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और भारतीय वायुसेना मिलकर सुखोई-30एमकेआई के लिए उपकरण और सिस्टम को अंतिम रूप देंगे, जिसके बाद 150 विमानों को अपग्रेड किया जाएगा। सुपर सुखोई कार्यक्रम को रूस ने मंजूरी दे दी है। सुखोई को अपग्रेड करने के लिए रूस से कई कलपुर्जे और पुर्जे आने हैं। सुपर सुखोई में आधुनिक कॉकपिट शामिल होगा। अपग्रेड के प्रमुख भाग में एवियोनिक्स और सेंसर भी शामिल हैं। रूसी सुखोई कंपनी के साथ संयुक्त रूप से विकसित सुपर सुखोई ऐसा विमान होगा जो पड़ोसी देशों और पूरे हिंद महासागर क्षेत्र पर हावी हो सकता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय और रूसी कंपनी आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत बंटे हुए काम को अंतिम रूप देंगे, जिसके बाद तय होगा कि कौन सा काम भारत में होगा और कौन सा काम रूस में होगा।

स्टील्थ विशेषताएं

सुपर सुखोई में उन्नत स्टील्थ विशेषताएं भी होंगी। सुपर सुखोई अन्य लंबी दूरी की मिसाइलों के इन्फ्रारेड-होमिंग विस्तारित-रेंज संस्करणों से भी लैस हो सकता है। मध्यम दूरी की मिसाइलों के अलावा सक्रिय रडार होमिंग मीडियम रेंज 100 किमी होगी। इसके साथ ही इसमें 80 किमी की मध्यम दूरी की अन्य मिसाइलें भी जोड़ी जा सकती हैं। सुपर सुखोई इलेक्ट्रॉनिक्स को अपग्रेड करेगा और इसमें हथियारों का भार अधिक होगा।

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