Supreme Court का बड़ा फैसला, कहा-LMV लाइसेंस धारक चला सकते हैं 7500 Kg तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन

Supreme Court Decision: इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया।

Report :  Network
Update:2024-11-06 11:36 IST

Supreme Court (social media ) 

Supreme Court Decision: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हल्के मोटर वाहन (एलएमवी) का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले व्यक्तियों को लेकर अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलएमवी का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन को चलाने के हकदार हैं।

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाया फैसला

इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया। यह कानूनी सवाल दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों की तरफ से मुआवजे के दावों के विवादों का कारण बन रहा था, जिनमें एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस धारकों की तरफ से ट्रांसपोर्ट वाहन चलाए जा रहे थे।

बीमा कंपनियों का यह था तर्क?

इस मामले में बीमा कंपनियों का कहना है कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) और अदालतें उनके आपत्तियों की अनदेखी करते हुए उन्हें बीमा दावे का भुगतान करने के आदेश दे रही हैं। बीमा कंपनियों का कहना है कि अदालतें बीमा विवादों में बीमाधारकों के पक्ष में फैसला ले रही हैं।

तीन जजों की पीठ ने सुरक्षित रखा था फैसला

इस मुद्दे पर 21 अगस्त को जस्टिस हृषिकेश रॉय, पी एस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा वाली पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जब केंद्र के वकील, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम, 1988 में संशोधन पर विचार-विमर्श लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है, और इसलिए अदालत ने इस मामले को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। क्या लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) के ड्राइविंग लाइसेंस धारक को 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन को चलाने का अधिकार है, यही कानूनी सवाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन था।

8 मार्च 2022 को संविधान पीठ को भेजा गया था

यह सवाल 8 मार्च 2022 को तीन-सदस्यीय पीठ की ओर से संविधान पीठ को भेजा गया था, जिसमें जस्टिस यूयू ललित (अब सेवानिवृत्त) शामिल थे। यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के 2017 के मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले से उठा था। मुकुंद देवांगन मामले में अदालत ने कहा था कि 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन को एलएमवी की परिभाषा से बाहर नहीं किया गया है। मामले को बड़ी पीठ को भेजते समय कहा गया कि कुछ कानूनी प्रावधानों को मुकुंद देवांगन निर्णय में ध्यान नहीं दिया गया था और इस विवाद का पुनः विचार आवश्यक है।

बजाज आलियांज की तरफ से मुख्य याचिका दायर की गई थी

इस फैसले को केंद्र सरकार ने स्वीकार किया और मोटर वाहन अधिनियम के नियमों को इस निर्णय के अनुरूप संशोधित किया गया। 18 जुलाई को संविधान पीठ ने इस कानूनी सवाल पर 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। मुख्य याचिका बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की ओर से दायर की गई थी। मोटर वाहन अधिनियम कई प्रकार के वाहनों के लिए अलग-अलग लाइसेंस देने के प्रावधान करता है।

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