Arvind Kejriwal Bail: 'CBI पिंजरे में बंद तोता...', दिल्ली सीएम के बेल पर SC की 10 अहम टिप्पणियां
Arvind Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी घोटाले के ईडी बाद सीबीआई मामले में भी आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी।
Arvind Kejriwal Bail: जिसका इंतजार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को काफी समय से था, वह इंतजार खत्म हुआ। सीएम केजरीवाल अब खुली हवा में सांस लेने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी घोटाले के ईडी बाद सीबीआई मामले में भी आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी है। कोर्ट ने शुक्रवार को केजरीवाल को सर्शत जमानत दी। बेल मिलने के बाद आप के मुखिया शुक्रवार को ही दिल्ली के तिहाड़ जेल से बाहर आएंगे। CBI पिंजरे में बंद तोता...सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल तिहाड़ से रिहा होने के बाद सीधे अपने मुख्यमंत्री आवास जाएंगे।
केजरीवाल को मिली सशर्त जमानत
सीबीआई मामले में सीएम जब से जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे, तब से पूरी कार्यवाही के दौरान जांच एजेंसी को कोर्ट की काफी सख्त टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। शुक्रवार को जब देश की शीर्ष अदालत ने केजरीवाल को जमानत दी, तब भी सीबीआई को कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा। कोर्ट को यह तक कहना पड़ गया कि सीबीआई को उसे पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए। कोर्ट ने सीबीआई मामले की सुनवाई 5 सितंबर को पूरी ली थी, जिस पर आज अपना फैसला सुनाते हुए केजरीवाल को सशर्त जमानत दे दी। आइये आपको बताते हैं कि केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट को बड़ी बातें।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी टिप्पणियां
01. कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार, जांच के उद्देश्य से पहले से हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करने में कोई बाधा नहीं है, चाहे वह उसी अपराध के लिए हो या किसी बिल्कुल अलग अपराध के लिए। इस प्रकार, 25.06.2024 के ट्रायल कोर्ट के आदेश के आलोक में अपीलकर्ता की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी पूरी तरह से स्वीकार्य थी।
02. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में जमानत न्यायशास्त्र का विकास इस बात को रेखांकित करता है कि 'जमानत का मुद्दा स्वतंत्रता, न्याय, सार्वजनिक सुरक्षा और सार्वजनिक खजाने के बोझ का है, जो सभी इस बात पर जोर देते हैं कि जमानत का विकसित न्यायशास्त्र सामाजिक रूप से संवेदनशील न्यायिक प्रक्रिया का अभिन्न अंग है।
03. कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता मामले की योग्यता पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेगा। ईडी मामले में लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी।
04. SC ने कहा जहां तक सीबीआई द्वारा अपीलकर्ता की गिरफ्तारी का सवाल है, यह जितने सवालों का जवाब देना चाहता है, उससे कहीं अधिक सवाल उठाता है। 22 महीने तक सीबीआई अपीलकर्ता को गिरफ्तार नहीं करती है, लेकिन ईडी मामले में विद्वान विशेष न्यायाधीश द्वारा अपीलकर्ता को नियमित जमानत दिए जाने के बाद, सीबीआई उसकी हिरासत की मांग करती है। इन परिस्थितियों में यह विचार लिया जा सकता है कि सीबीआई द्वारा ऐसी गिरफ्तारी शायद केवल ईडी मामले में अपीलकर्ता को दी गई जमानत को विफल करने के लिए थी।
05. कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तार करने की शक्ति एक बात है, लेकिन गिरफ्तार करने की आवश्यकता पूरी तरह से एक अलग बात है। सिर्फ इसलिए कि एक जांच एजेंसी के पास गिरफ्तार करने का अधिकार है, इसका मतलब यह नहीं है कि उसे ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करना चाहिए।
06. केजरीवाल की जनामत पर सुनावई करते हुए कोर्ट ने कहा कि जहां तक गिरफ्तारी के आधार का सवाल है, ये गिरफ्तारी की आवश्यकता को पूरा नहीं करेंगे। सीबीआई गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती और टालमटोल वाले जवाबों का हवाला देते हुए हिरासत में नहीं रख सकती। आरोपी को दोषपूर्ण बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
07. कोर्ट ने कहा कि इन आधारों पर अपीलकर्ता को हिरासत में रखना न्याय का उपहास है, खासकर तब जब उसे अधिक कठोर पीएमएलए में जमानत दी गई है। मैं यह समझने में विफल हूं कि सीबीआई की ओर से अपीलकर्ता को गिरफ्तार करने की इतनी जल्दी क्यों थी, जबकि वह ईडी मामले में रिहाई के कगार पर था।
08. जमानत नियम है और जेल अपवाद है। न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पूर्व-परीक्षण प्रक्रिया सजा न बने। जमानत नियम है और जेल अपवाद है। न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पूर्व-परीक्षण प्रक्रिया सजा न बने।
09- जस्टिस भुयान ने कहा अपीलकर्ता की देरी से गिरफ्तारी अनुचित है। सीबीआई देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी है। यह जनहित में है कि सीबीआई न केवल पारदर्शी हो, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए। किसी भी धारणा को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए कि जांच निष्पक्ष रूप से की गई थी और गिरफ्तारी मनमानी और पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई थी।
10. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी को भी ईमानदार होना चाहिए। यह जरूरी है कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करे। इसके बजाय, धारणा को पिंजरे से बाहर बंद तोते की तरह होना चाहिए।