Kolkata Doctor Case: मामले पर सुप्रीम कोर्ट की ये 10 बड़ी टिप्पणी, हड़ताल को लेकर CJI ने डॉक्टरों से की ये अपील
Kolkata Doctor Case: यह केस मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष लगा है। इसमें दो न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
Kolkata Doctor Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में जूनियर महिला डॉक्टर से रेप-हत्या के मामले में जहां पूरे देश में लोगों के बीच रोष उत्पन्न है। डॉक्टरों से लेकर आम लोग तक सड़कों पर उतरे हुए हैं और महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। वहीं अब सभी नजर देश की शीर्ष अदालत पर भी टिकी गई हैं। मंगलवार को देश के शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म-हत्या के मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। मामले की सुनवाई सुबह 10.30 बजे से शुरू होनी थी,लेकिन इसमें कुछ देर हुई। मामला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष लगा है, जिसमें दो न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या और उसके बाद अस्पताल में की गई तोड़फोड़ के मामले को स्वत:संज्ञान लिया। कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को करेगा।
'हम डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित'
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वकील को आरजी कर अस्पताल-मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी और डॉक्टरों के प्रदर्शन स्थल में हुई तोड़फाड़ की घटना पर कड़ी फटकार लगाई। सीजेआई ने कहा कि ये सिर्फ एक मर्डर का मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है। महिलाएं सुरक्षा से वंचित हो रही हैं। आखिर ऐसे हालात में डॉक्टर कैसे काम करेंगे। हमने देखा है कि उनके लिए कई जगहों पर रेस्ट रूम तक नहीं होते। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बंगाल सरकार के वकील से कड़े लहजे में कोई सवाल पूछे जैसे अस्पताल में 7000 हजार की भीड़ कैसे घुसी, पुलिस क्या कर रही थी, पीड़ित परिवार को बॉडी नहीं देखना दिया गया इत्यादि।
हड़ताल को लेकर कोर्ट ने कही ये बात
CJI ने डॉक्टरों को कहा कि आप हम पर भरोसा करें। डॉक्टर्स की हड़ताल पर कहा, इस बात को समझें कि पूरे देश का हेल्थ केयर सिस्टम उनके पास है। आप काम पर लौटें।
कोलकाता कांड पर सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हर बार बलात्कार और हत्या होने पर देश की अंतरात्मा नहीं जागनी चाहिए
यह केवल भयावह घटना नहीं बल्कि पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा की कमियों को उजागर करता है
सीजेआई ने कहा कि हम अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंतित हैं
कोर्ट ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा सकतीं और सुरक्षित नहीं रह सकतीं तो हम उन्हें बुनियादी समानता से वंचित कर रहे हैं
पीड़िता की पहचान उजागर होने पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है
CJI ने पश्चिम बंगाल सरकार और हॉस्पिटल प्रशासन को फटकार लगाई? कहा एफआइआर देर से क्यों दर्ज हुई? हॉस्पिटल प्रशासन आखिर क्या कर रहा था
CJI ने कहा, प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की, माता-पिता को शव देखने की इजाजत नहीं
अस्पताल में हुई तोड़फोड़ पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि पुलिस को घटनास्थल की सुरक्षा करनी चाहिए. आखिर 7 हजार लोग वहां दाखिल कैसे हुए
कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ हत्यारा नहीं बल्कि एक विकृत व्यक्ति है. कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों पर सख्ती को लेकर भी पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई.कोर्ट ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन को नहीं रोका जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल की भूमिका पर भी सवाल उठाए. पूछा कि आखिर प्रिंसिपल क्या कर रहे थे. उन्हें इतनी देरी से पूछताछ के लिए क्यों बुलाया गया. उन्होंने ऐसी निष्क्रियता क्यों दिखाई
मामले को एससी ने स्वत: संज्ञान में लिया
बता दें कि अस्पताल में हुई तोड़फाड़ का मामला कोलकाता हाई कोर्ट में भी चल रहा है। 14 अगस्त की रात अस्पताल के इमरजेंसी और वहां बने प्रदर्शन स्थल में की गई कुछ लोगों द्वारा तोड़ताड़ के मामले पर हाईकोर्ट ने ममता सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी और इस घटना को सरकार का फेलियर करार दिया था। इस घटना पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जूनियर से लेकर सीनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। निजी और सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं छोड़कर ओपीडी सहित अन्य सभी प्रकार की हेल्थ सेवाएं बंद हैं। डॉक्टर न्याय और सुरक्षा की मांग को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं। इस सबको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई के दौरान इस मामले पर न्यायिक जांच के आदेश दे सकती है, जबकि सुप्रीम कोर्ट से ठोस समाधान निकाले जाने के बाद डॉक्टर भी अपनी हड़ताल वापस ले सकते हैं।
क्या आज खत्म होगी डॉक्टरों की हड़ताल
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अगर डॉक्टर अपनी हड़ताल वापस लेते हैं तो इससे मरीजों को काफी राहत मिलेगी। यूपी सहित देश भर में बीते 5 दिनों से अस्तपालों में ओपीडी सेवाएं बंद हैं, हर दिन दूर दराज से आए मरीजों को काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है, जबकि बंगाल में बीते 11 दिनों सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद हैं। कोलकाता कांड की जांच सीबीआई के हाथों में है। अब तक जांच एजेंसी कई लोगों को इस मामले पर पूछताछ कर चुकी है। वहीं, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांग है कि सीबीआई दोषियों को पकड़े और अदालत उन्हें अधिकतम सजा दे। इसके अलावा, वह सरकार से यह आश्वासन चाहते हैं कि भविष्य में दोबारा कोई ऐसी घटना न घटे।
स्वत: संज्ञान के बीच नया हस्तक्षेप आवेदन दायर
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान के बीच एक नया हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया है। डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स ऑफ इंडिया (एफएएमसीआई) और फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) तथा वकील विशाल तिवारी ने आवेदन दायर किया है। दायर याचिका में कहा गया कि कानून तो है, लेकिन जमीनी स्तर पर उसका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है. कार्यस्थलों पर विशाखा दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जाता। बलात्कार और हत्या के हर मामले में न्यायिक जांच होनी चाहिए, ताकि पक्षपात और दबाव से बचा जा सके और असली दोषियों को बचाया जा सके। इसके अलावा इस मामले में याचिका में तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति गठित करने की मांग की गई है, जो मामले में सीबीआई जांच की निगरानी कर सके।