स्वार से निर्वाचन रद्द मामला: आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को SC से बड़ा झटका, खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को तगड़ा झटका दिया है। SC ने उनकी याचिका ख़ारिज कर दी है। जिसका मतलब है कि स्वार सीट से अब्दुल्ला का निर्वाचन निरस्त ही रहेगा।
Abdullah Azam Khan : समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की मुसीबतें कम होती दिखाई नहीं दे रही। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (07 नवंबर 2022) को अब्दुल्ला आजम को तगड़ा झटका दिया है। सर्वोच्च अदालत ने उनकी याचिका ख़ारिज कर दी है। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वार विधानसभा सीट से अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन को रद्द करने का फैसला सुनाया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने अब्दुल्ला आजम की याचिका खारिज कर दी है जिसका साफ मतलब ये है कि स्वार सीट से अब्दुल्ला का निर्वाचन निरस्त ही रहेगा।
क्या था मामला?
दरअसल, सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने जब स्वार विधानसभा सीट से पर्चा दाखिल किया था, तब उसमें दो डेट ऑफ बर्थ का उल्लेख मिला था। तभी से सवाल उठने लगे थे। अब्दुल्ला आजम से सवाल यही था कि, आखिरकार उन्होंने दो जन्म तिथि का उल्लेख क्यों किया था? इसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन को रद्द करने का फैसला सुनाया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई में कहा था, कि साल 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान अब्दुल्ला आजम ने उम्र संबंधी फर्जी दस्तावेज पेश किए थे। इस चुनाव को बसपा के नेता रहे नवाब काजम अली खान ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी। हालांकि, नवाब काजम बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया था, कि शिक्षा से जुड़े प्रमाण पत्रों के अनुसार, अब्दुल्ला का जन्म 01 जनवरी 1993 में हुआ है, वहीं जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार वह 30 सितंबर 1990 को पैदा हुए थे।
SC ने फैसला सुरक्षित रखा था
सपा नेता अब्दुल्ला आजम खान ने हाईकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम में चुनौती दी थी। जहां सर्वोच्च अदालत ने भी आज उनकी याचिका खारिज कर दी। बता दें, अब्दुल्ला आजम के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा था, कि एम्स में भी जन्म प्रमाणपत्र को डायरेक्टर या डिपार्टमेंट के हेड वेरीफाई नहीं करते हैं। सर्टिफिकेट पर इंट्री सीनियर डॉक्टर या डिपार्टमेंट हेड नहीं करता है। रेज़ीडेंट डॉक्टर या कोई अन्य ही करता है।पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर आज फैसला आया।