SC की मोदी सरकार को फटकार, कहा- क्यों न कोर्ट में लगा दिया जाए ताला ?

देशभर के हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति की धीमी रफ्तार पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार इस तरह न्यायपालिका का काम ठप नहीं कर सकती है। जजों की नियुक्ति से संबंधित मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) के फाइनल न होने के आधार पर जजों की नियुक्तियां नहीं रोकी जा सकतीं हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक जनहित याचिका में कोर्ट में मुकदमों के ढेर और जजों के खाली पड़े पदों का मुद्दा उठाया गया है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।

Update: 2016-10-29 00:09 GMT

नई दिल्ली: देशभर के हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति की धीमी रफ्तार पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार इस तरह न्यायपालिका का काम ठप नहीं कर सकती है। जजों की नियुक्ति से संबंधित मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) के फाइनल न होने के आधार पर जजों की नियुक्तियां नहीं रोकी जा सकतीं हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक जनहित याचिका में कोर्ट में मुकदमों के ढेर और जजों के खाली पड़े पदों का मुद्दा उठाया गया है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।

क्यों न कोर्ट में ताला लगा दिया जाय?

-सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्यों न कोर्ट में ताला लगा दिया जाय?

-कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की प्रशासनिक उदासीनता न्यायपालिका को खराब कर रही है।

-आज हालात ये हैं कि मुकदमों के ढेर और जजों की कमी के कारण कोर्ट रूम में ताला लगाना पड़ रहा है।

-कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट में पूरा ग्राउंड फ्लोर बंद है।

-क्यों ना पूरे संस्थान को ताला लगा दिया जाए और लोगों को न्याय देना बंद कर दिया जाए।

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केंद्र सरकार इस मुद्दे को ईगो का मुद्दा न बनाए

-जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को ईगो का मुद्दा ना बनाए।

-हम नहीं चाहते कि हालात ऐसे हों कि एक संस्थान दूसरे संस्थान के आमने-सामने हों।

-उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को बचाने की कोशिश होनी चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने दी चेतावनी

-चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि हम बड़े सब्र से काम कर रहे हैं।

-केंद्र सरकार बताए कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की सूची का क्या हुआ ?

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-केंद्र सरकार 9 महीने से इस सूची पर क्यों बैठी है?

-अगर सरकार को इन नामों पर कोई दिक्कत है तो हमें भेजें, फिर से विचार करेंगे?

-कोर्ट ने कहा कि काम करने की अगर यही रफ्तार रही तो पीएमओ और कानून मंत्रालय के सचिवों को समन भेजकर यहां बुलाया जाएगा।

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क्या है सरकार की दलील ?

-केंद्र सरकार की दलाल थी कि वह जजों की नियुक्तिओं को लेकर गंभीर है , लेकिन देरी का एक कारण एमओपी का फाइनल न हो पाना है।

-केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि हाईकोर्ट के जजों की सूची में कई नाम हैं।

-जो सही नहीं हैं। सरकार ने 88 नाम तय किए, लेकिन सरकार एमओपी तैयार कर रही है।

-सरकार का कहना है कि जजों की नियुक्ति की पारदर्शी प्रक्रिया के लिए एमओपी का फाइनल होना जरूरी है।

-जैसा कि कोलेजियम व्यवस्था में सुधार के बारे में सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर में दिए गए फैसले में कहा गया है।

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