चुनावी बॉन्ड्स पर SC का बड़ा फैसला, रोक लगाने से किया इंकार

अप्रैल से जारी होने वाले चुनावी बॉन्ड्स (Electoral Bonds) पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा है कि यह योजना साल 2018 में लागू हुई है और फिलहाल चल रही है। साथ ही इसकी सुरक्षा के लिए भी सारे उपाय किये गये है।

Update: 2021-03-26 07:42 GMT
चुनावी बॉन्ड्स पर SC का बड़ा फैसला, रोक लगाने से किया इंकार

नई दिल्ली: केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। अप्रैल से जारी होने वाले चुनावी बॉन्ड्स (Electoral Bonds) पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा है कि यह योजना साल 2018 में लागू हुई है और फिलहाल चल रही है। साथ ही इसकी सुरक्षा के लिए भी सारे उपाय किये गये है।

चुनावी बॉन्ड योजना में और पारदर्शिता चाहता है

बता दें कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह चुनावी बॉन्ड योजना का समर्थन करता है क्योंकि अगर ये नहीं होगा तो राजनीतिक पार्टियों को चंदा कैश में मिलेगा। हालांकि वह चुनावी बॉन्ड योजना में और पारदर्शिता चाहता है। इसके साथा ही कोर्ट ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी।

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आरबीआई ने भी इस पर आपत्ति जाहिर की है

सुप्रीम कोर्ट में एडीआर की ओर से दाखिल याचिका पर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनावी बॉन्ड्स सत्ताधारी दल को चंदे के नाम पर घूस देकर काम कराने का रास्ता बन गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमेशा यह घूस सिर्फ सत्ताधारी दल को ही नहीं मिलता बल्कि उसको भी मिलता है जिसके अगली बार सरकार में आने के आसार ज्यादा रहते हैं। भूषण ने कहा कि आरबीआई ने भी इस पर आपत्ति जाहिर की है। आरबीआई का कहना है कि यह बॉन्ड्स एक आर्थिक घोटाले का औजार या रास्ता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला

एक एनजीओ ने न्यायालय में मंगलवार को एक याचिका दाखिल कर केंद्र और अन्य पक्षों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि राजनीतिक दलों के वित्तपोषण और उनके खातों में पारदर्शिता की कथित कमी से संबंधित एक मामले के लंबित रहने के दौरान और आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड की आगे और बिक्री की अनुमति नहीं दी जाए।

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राजनीतिक दल इन निधियों का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं

पीठ ने कहा था कि राजनीतिक दल अपने राजनीतिक एजेंडे से परे की गतिविधियों के लिए इन निधियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि राजनीतिक दल 100 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड हासिल करते हैं, तो इस बात का क्या भरोसा है कि इसे किसी अवैध मकसद या हिंसात्मक गतिविधियों को मदद देने में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। उसने साथ ही कहा था कि वह राजनीति में दखल नहीं देना चाहती और ये टिप्पणियां किसी विशेष राजनीतिक दल के लिए नहीं की गई हैं।

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