स्वामी निरंजनानंद सरस्वती बोले- पद्मभूषण सम्मान मेरा नहीं, बिहार और मुंगेर की जनता का
मुंगेर: बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा, कि पद्मभूषण सम्मान उनका नहीं, बल्कि बिहार और मुंगेर की जनता का है। उन्होंने यह सम्मान बिहार की जनता को समर्पित किया।
मुंगेर के बिहार योग विद्यालय में रविवार (14 मई) को 'पादुका दर्शन' में मुंगेर के डीएम उदय कुमार सिंह ने स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया। इस दौरान निरंजनानंद सरस्वती ने उन तमाम लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं, जिन्हें इस वर्ष विविध क्षेत्रों में बेहतर उपलब्धियों के लिए पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
इसलिए नहीं जा पाए सम्मान लेने दिल्ली
योग विद्यालय के अनुसार, स्वामी निरंजनानंद सरस्वती की पंचाग्नि साधना का यह पांचवां वर्ष है। स्वामी जी इस वर्ष भी इस साधना में लीन हैं। इस साधना के कठोर नियम और अनुशासन होते हैं। इस कारण वे दिल्ली में आयोजित अलंकरण समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे। उनका सम्मान राज्य सरकार को भेजा गया और उसके प्रतिनिधि के रूप में मुंगेर के डीएम ने रविवार को उन्हें सुपुर्द किया।
'मैं तो एक साधन मात्र हूं'
पुरस्कार मिलने के बाद स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा, 'मैं तो एक साधन मात्र हूं। असल काम तो स्वामी शिवानंद ने वर्ष 1930 में योग का बीजारोपण किया और स्वामी सत्यानंद बंजर भूमि को योग के लायक बनाया। हम तो उनकी खेती से उत्पादित करने का प्रयास करते रहे हैं।' उन्होंने उन तमाम लोगों के प्रति भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन्हें इस सम्मान के लिए चयन किया और अपना मत दिया।
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यह सम्मान मुझे आपके हाथों मिलना है
अलंकरण समारोह को संबोधित करते हुए मुंगेर के डीएम उदय कुमार सिंह ने कहा कि स्वामी निरंजनानंद सरस्वती दुनियाभर में मुंगेर को एक पहचान दिलाई है। इस सम्मान से मुंगेर का मान बढ़ा है। डीएम ने कहा, देवऋषि की वाणी सही सिद्ध होती है। इसका अनुभव उन्हें इस बार हुआ। दिल्ली में जब आयोजित अलंकरण समारोह में स्वामी जी को नहीं देखकर मायूसी हुई और दूसरे दिन उनसे कहा गया कि आपने मुंगेर के लोगों के साथ-साथ मुझे निराश कर दिया। तो सहज रूप से स्वामी जी ने प्रत्युत्तर में कहा कि 'यह सम्मान मुझे आपके हाथों से मिलना है, जो आज सत्य साबित हुई।'
स्वामी जी ने योग को पूरी दुनिया में फैलाया
इस मौके पर रिखिया पीठ की पीठाधेश्वरी साध्वी सत्यसंगानंद सरस्वती ने स्वामी सत्यानंद के योग परंपरा को विस्तार से रेखांकित किया। कहा, कि 'स्वामी निरंजन ने सत्यानंद योग को पूरी दुनिया में फैलाया।'
देखा, शैशवा अवस्था से उत्कृष्टता तक के सफर को
बिहार योग विद्यालय के वरिष्ठ सन्यासी स्वामी शंकरानंद ने कहा, यह मेरा सौभाग्य है कि आश्रम के शैशवा अवस्था से लेकर उत्कृष्टता तक के सफर का साक्षी हूं। स्वामी जी बाल्यावस्था में यहां आए थे और गुरुदेव ने योग का उत्तराधिकारी बनाया। उनके सम्मान से मुंगेर का गौरव बढ़ा है।' इस अवसर पर केके गोयनका, बाल योग मित्र मंडल के खुशी प्रिया, संगम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ बाल योग मित्र मंडल के बच्चों के गीत 'वैदिक विश्व बना दे मैया' से हुआ।
120 देशों के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया
इस मौके पर भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव एके झा, प्रमंडलीय आयुक्त नवीन चंद्र झा, पुलिस अधीक्षक आशीष भारती, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक केके उपाध्याय, वरिष्ठ समाजसेवी निरंजन शर्मा सहित अन्य कई लोग मौजूद थे। जबकि कार्यक्रम का संचालन स्वामी त्यागराज ने किया। समारोह में स्वामी ज्ञान भिक्षु, स्वामी कैवल्यानंद के साथ-साथ आश्रम में रह रहे दुनियाभर के 120 देशों के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।