राजग नीत मोदी सरकार के खिलाफ आज पहले अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी

केंद्र में लगभग चार साल आराम से सरकार चलाने के बाद मोदी की मुसीबतें बढती दिखाई दे रही हैं। उपचुनावों में लगातार हार मिल रही है तो अबतक सहयोगी की भूमिका में रही टीडीपी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन :राजग: से अलग होने का ऐलान कर दिया तो दूसरी सहयोगी शिवसेना पहले ही कह चुकी है कि अगले साल होने वाला चुनाव वो बीजेपी के साथ मिल कर न

Update:2018-03-16 11:30 IST

नई दिल्ली: लोकसभा में आज मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव आने की संभावना है। लोकसभा में बहुमत में होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सहयोगी तेलुगुदेशम पार्टी केंद्र सरकार का साथ छोड़ कर अविश्वास प्रस्ताव के साथ खड़ी है। इसे मोदी की मुसीबत तो नहीं कहा जा सकता है क्योंकि भाजपा अकेले ही बहुमत में है लेकिन इससे विपक्ष को सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का मौका मिल सकता है। एकतरफ उपचुनावों में लगातार हार तो टीडीपी का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन :राजग: से अलग होकर अविश्वास प्रस्ताव के साथ खड़े होने का ऐलान मोदी की साख को जरूर प्रभावित कर सकता है। शिवसेना पहले ही कह चुकी है कि अगले साल होने वाला चुनाव वो बीजेपी के साथ मिल कर नहीं लड़ेगी।

शुक्रवार को संसद में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाना था, लेकिन हंगामे के कारण नहीं हो पाया।अब आज टीडीपी इस प्रस्ताव को पेश करने की कोशिश करेगी। चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी एनडीए से अलग हो गई है। आंध्रप्रदेश को विशेष दर्जा ना मिलने से नाराज़ टीडीपी ने शुक्रवार सुबह ये बड़ा फैसला लिया था। हालांकि पहले अविश्वास के पक्ष में 50 सांसदों का समर्थन जुटाना होगा। आंध्र के मुद्दे को लेकर पहले टीडीपी कोटे के मंत्रियों ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दिया था। वहीं बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने राज्य सरकार से अपना इस्तीफा दे दिया था।

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन का ऐलान किया है। ओवैसी के अलावा ममता बनर्जी की टीएमसी ने भी इस प्रस्ताव के समर्थन करने की बात कही है। सीताराम येचुरी ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। इन सभी पार्टियों के अलावा कांग्रेस भी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर रही है।

टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने इस मुद्दे को लेकर पार्टी की सबसे बड़ी निर्णय लेने वाली कमेटी पोलित ब्यूरो के साथ बैठक की। नायडू ने एनडीए से अलग होने का फैसला इसी बैठक में लिया। टीडीपी का आरोप है कि बीजेपी ने आंध्र प्रदेश के साथ सही तरीके से बर्ताव नहीं किया। इसी बैठक में पार्टी ने फैसला किया है कि वह लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगी। टीडीपी का कहना है कि वाईएसआर कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव ला रही है, लेकिन सोमवार को हम करीब 54 सांसदों का समर्थन हासिल करेंगे। टीडीपी ने बीजेपी को ब्रेक जनता प्रोमिस पार्टी बताया।

अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन के लिए टीडीपी, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों से भी बात कर रही है। इसके अलावा टीडीपी, एनडीए में शामिल दलों से भी उनके समर्थन की अपील कर रही है। चंद्रबाबू नायडू खुद इस बारे अन्य पार्टियों के नेताओं से बात कर रहे हैं। पहले टीडीपी के सांसद सदन में सभी पार्टियों के नेताओं से बात करेंगे, जिसके बाद नायडू पार्टी नेताओं से समर्थन की अपील करेंगे।

आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर 6 सांसदों ने शुक्रवार को लोकसभा महासचिव को प्रस्ताव का नोटिस दिया था। मतलब साफ है कि अब टीडीपी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर सकती है।

नियमों के मुताबिक, सबसे पहले लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन वाईएसआर कांग्रेस के किसी सांसद को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने को कहेंगी। इसके बाद करीब 50 सांसदों को इसका समर्थन करने के लिए खड़ा होना होगा, तभी इसके आगे की प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन इसमें भी एक पेंच है, ये प्रस्ताव तभी पेश हो सकता है कि जब सदन ऑर्डर में हो, अगर कोई सांसद इस दौरान हंगामा कर रहा हो तो प्रस्ताव पेश करने में मुश्किल हो सकती है।

टीडीपी को अब तक वाईएसआर कांग्रेस, कांग्रेस, टीएमसी, सीपीएम का समर्थन मिल चुका है। इन पार्टियों टीडीपी- 16, वाईएसआर कांग्रेस- 09, कांग्रेस- 48, टीएमसी- 34, सीपीएम- 09, एआईएमआईएम- 01 सांसद के अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन की उम्मीद है। इन सांसदों की कुल संख्या 117 हो रही है। यानि केंद्र सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, लेकिन सरकार को गिराने के लिए 152 सांसदों के साथ की और जरूरत है। इसलिए सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

 

अभी क्या है लोकसभा में स्थिति?

भारतीय जनता पार्टी - 272 + 1 (स्पीकर)

कांग्रेस - 48

AIADMK - 37

तृणमूल कांग्रेस - 34

बीजेडी - 20

शिवसेना - 18

टीडीपी - 16

टीआरएस - 11

सीपीआई (एम) - 9

वाईएसआर कांग्रेस - 9

समाजवादी पार्टी - 7

इनके अलावा 26 अन्य पार्टियों के 58 सांसद हैं और 5 सीटें खाली हैं।

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