नई दिल्लीः इस्लामी प्रचारक जाकिर नाईक की मुश्किल आने वाले दिनों में बढ़ने के आसार हैं। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार उसके खिलाफ गैरकानूनी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम एक्ट (यूएपीए) के तहत कार्रवाई की तैयारी में है। इसके साथ ही जाकिर के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को भी इसी कानून के तहत बंद करा दिया जाएगा।
क्या है मामला?
बांग्लादेश की राजधानी ढाका के कैफे में आतंकी हमले के बाद वहां की सरकार ने जाकिर नाईक पर युवाओं को आतंकी हमलों के लिए भड़काने का आरोप लगाया था। बांग्लादेश सरकार के अनुरोध पर मोदी सरकार ने जाकिर के भाषणों की जांच शुरू कराई थी। बताया जा रहा है कि खुफिया ब्यूरो को जाकिर के तमाम ऐसे भाषण मिले हैं, जिनको सरकार सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला मानती है।
इन बयानों की रिकॉर्डिंग को एनआईए को देकर कार्रवाई के लिए कहा गया है। जाकिर नाईक अभी विदेश में है, लेकिन उसके खिलाफ चंद दिनों में कार्रवाई होने के आसार हैं।
आतंकियों ने भी दी थी गवाही
सूत्रों की मानें तो अब तक गिरफ्तार आतंकियों में से तमाम ने जाकिर के भाषणों से प्रेरित होने की बात मानी है। इनमें आईआरएफ का पूर्व कर्मचारी फिरोज देशमुख, कतील अहमद सिद्दीकी, अफशां जबीं, मुदाबिर शेख, मोहम्मद ओबैदुल्लाह खान, अबु अनस और मोहम्मद नफीस खान हैं। इनमें से कई आईएसआईएस से जुड़े रहे हैं।