चंद्रयान-2 के बाद लांच हुआ पहला Cartosat-3 सैटेलाइट, जानें इसके बारे में
चंद्रयान-2 के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) उन्नत श्रेणी के बहुउद्देश्यीय सेटेलाइट कार्टोसैट-3 के प्रक्षेपण हुआ।
नई दिल्ली: चंद्रयान-2 के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) उन्नत श्रेणी के बहुउद्देश्यीय सेटेलाइट कार्टोसैट-3 के प्रक्षेपण हुआ। इसके साथ 13 छोटे अमेरिकी सैटेलाइट भी लांच हुए। इस सैटेलाइट के जरिए से पृथ्वी की छोटी से छोटी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी।
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इसरो ने बताया कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लांच पैड से 27 नवंबर सुबह 9.28 बजे कार्टोसैट-3 का प्रक्षेपण हुआ। इस श्रृंखला का यह नौवां सैटेलाइट है।
पीएसएलवी-सी47 रॉकेट अपने साथ कार्टोसैट-3 और अमेरिका के 13 छोटे व्यावसायिक सैटेलाइट को लेकर उड़ान भरेगा। कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह स्पेस से जमीन पर एक फीट से भी कम की ऊंचाई तक की स्पष्ट तस्वीरें ले सकता है।
कार्टोसैट-3 का कुल वजन लगभग 1,625 किलोग्राम है। ये सैटेलाइट शहर में नियोजन, ग्रामीण क्षेत्रों में ढांचागत विकास और संसाधनों की मैपिंग, तटवर्ती क्षेत्रों में भू उपयोग इत्यादि कामों में बहुत हेल्प करेगा।
इसरो व्यावसायिक समझौते के तहत इस सैटेलाइट के साथ 13 अमेरिकी व्यावसायिक नैनोसेटेलाइट को भेज रहा है। इन अमेरिकी सैटेलाइटों में फ्लॉक-4पी और मेशबेड नामक सैटेलाइट भी मौजूद है। फ्लॉक-पी4 पृथ्वी पर नजर रखेगा, जबकि, मेशबेड संचार परीक्षण करेगा।
कार्टोसैट-3 पांच साल तक काम करेगा। जुलाई में मून मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के बाद इसरो यह पहला सैटेलाइट लांच करने जा रहा है।
कार्टोसैट-3 के लांच से पहले तिरुपति पहुंचे इसरो चीफ
देश के इमेजिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 के लांच से पहले इसरो प्रमुख के. सिवन तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित भगवान वेंकटेश्वर के दरबार में पहुंच कर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा की थी।
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