टीआरपी का खेलः नया नहीं है हेराफेरी का ये गेम, जाने कैसे होता है
भारत 1.3 अरब लोगों का देश है जहां घरों में 19.5 करोड़ से अधिक टेलिविज़न सेट हैं। ये एक बड़ा बाज़ार है और इस कारण लोगों तक पहुंचने के लिए विज्ञापन बेहद अहम है।
मुंबई: मुंबई पुलिस ने खुलासा किया है टीवी दर्शकों की पसंदगी और नापसंदगी के आंकड़ों यानी टीआरपी में घोटाला किया जाता है। वैसे ये कोई नया खुलासा नहीं है क्योंकि टीआरपी में हेराफेरी की शिकायतें पहले भी खूब रहीं हैं। ये एक ऐसा मसला है को सभी चैनलों को सूट करता है सो कोई इसपर ज्यादा हल्ला नहीं मचाता। टीआरपी के मीटर से लगभग 2 से 3 लाख लोगों की पसंद या नापसंद का पता चलता है और इसी आधार पर सवा अरब की जनसख्या पर प्रोग्राम थोपे जाते हैं। यह भी बड़े हैरत की बात है। टीआरपी की स्थिति प्रिंट मीडिया के ऑडिट ब्यूरो ऑफ़ सर्कुलेशन (एबीसी) के आंकड़ों जैसी ही है। एबीसी के आंकड़ों में हेराफेरी करने के लिए प्रिंट मीडिया संस्थान भी तरह तरह की चाल चलते हैं।
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368 अरब की कमाई
भारत 1.3 अरब लोगों का देश है जहां घरों में 19.5 करोड़ से अधिक टेलिविज़न सेट हैं। ये एक बड़ा बाज़ार है और इस कारण लोगों तक पहुंचने के लिए विज्ञापन बेहद अहम है। एफ़आईससीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार जहां साल 2016 में भारतीय टेलिविज़न को विज्ञापन से 243 अरब की आमदनी हुई वहीं सब्सक्रिप्शन से 90 अरब मिले। ये आंकड़ा साल 2020 तक बढ़ कर विज्ञापन से 368 अरब और सब्सक्रिप्शन से 125 अरब तक हो चुका है।
क्या है टीआरपी
किस टीवी चैनल को कितना देखा जा रहा है टीआरपी यानी टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स यह मापने का एक पैमाना है। इसके दायरे में मनोरंजक, ज्ञानवर्धक और न्यूज सभी तरह के कार्यक्रम दिखाने वाले चैनल आते हैं। टीआरपी को मापने के लिए बीएआरसी नामक संस्था अधिकृत है। यह संस्था पूरे देश में कुछ घरों को चुनकर उनके टीवी सेट में व्यूअरशिप मापने के उपकरण लगाती है, जिन्हें बैरोमीटर कहते हैं। ताजा जानकारी के अनुसार बीएआरसी ने पूरे देश में करीब 45,000 घरों में ये बैरोमीटर लगाए हुए हैं। कौन सा चैनल कितना लोकप्रिय है टीआरपी ही इसका फैसला करती है। लोकप्रियता के आधार पर चैनलों को विज्ञापन मिलते हैं और उन्हीं से चैनलों की कमाई होती है।
कैसे चुने जाते हैं घर
बीएआरसी ने 2015 में उपभोक्ताओं को अलग अलग श्रेणी में बांटने की एक नई प्रणाली 2015 में लागू की थी। इसके तहत सभी घरों को उनके शैक्षिक-आर्थिक स्तर के हिसाब से 12 अलग अलग श्रेणियों में बांटा जाता है। इसके लिए परिवार में कमाई करने वाले मुख्य व्यक्ति की शैक्षिक योग्यता और 11 चीजों में से कौन कौन सी उस घर में हैं, यह देखा जाता है। इन 11 चीजों में बिजली के कनेक्शन से लेकर गाड़ी तक शामिल हैं। अगर किसी चैनल को किसी तरह यह पता चल गया कि किन घरों में उपकरण लगे हैं वो वो उसके घर के सदस्यों को अलग अलग तरह के प्रलोभन दे कर उन्हें हमेशा वही चैनल लगाए रखने का लालच दे सकते हैं।
बार्क ही अकेले एजेंसी
साल 2008 में टैम मीडिया रीसर्च (टैम) और ऑडियंस मेज़रमेन्ट एंड एनालिटिक्स लिमिटेड (एएमएपी) तक टीआरपी व्यवसायिक आधार पर टीआरपी रेटिंग्स दिया करते थे। ट्राई की सिफारिश के बाद जुलाई 2010 में बार्क अस्तित्व में आया। जनवरी 2014 में सरकार ने टेलिविज़न रेटिंग एजेंसीज़ के लिए पॉलिसी गाइडलान्स जारी की और इसके तहत जुलाई 2015 में बार्क को भारत में टेलिविज़न रेटिंग देने की मान्यता दे दी। अब भारत में बार्क वो अकेली एजेंसी है जो टेलिविज़न रेटिंग्स मुहैय्या कराती है। बार्क में इंडस्ट्री के प्रतिनिधि के तौर पर इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, इंडियन सोसायटी ऑफ़ एडवर्टाइज़र्स और एडवर्टाइज़िंग एजेंसी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया शामिल हैं।
कैसे नापी जाती है टीआरपी
चुने हुए परिवार के हर सदस्य को एक आईडी दिया जाता है और हर व्यक्ति जब भी टीवी देखना शुरू करता है तो उस से पहले वो अपने आईडी वाला बटन दबा देता है। इससे यह दर्ज हो जाता है कि किस उम्र, लिंग और प्रोफाइल वाले व्यक्ति ने कब कौन सा चैनल कितनी देर देखा। यह आंकड़े बीएआरसी इकठ्ठा करती है और अमूमन हर हफ्ते जारी करती है।
कैसे की जा सकती है छेड़छाड़
बैरोमीटर गुप्त रूप से लगाए जाते हैं, यानी उन्हें लगाने के लिए किन घरों को चुना गया है यह जानकारी गुप्त रखी जाती है। अगर किसी चैनल को किसी तरह यह पता चल गया कि किन घरों में उपकरण लगे हैं वो उसके घर के सदस्यों को अलग अलग तरह के प्रलोभन दे कर उन्हें हमेशा वही चैनल लगाए रखने का लालच दे सकते हैं। चैनल केबल ऑपरेटरों को भी रिश्वत दे कर यह सुनिश्चित करा सकते हैं कि जहां जहां उनके कनेक्शन हैं वहां जब भी टीवी ऑन हो तो सबसे पहले उन्हीं का चैनल दिखे। फिर जब तक दर्शक चैनल बदलेगा तब तक उनके चैनल की व्यूअरशिप अपने आप दर्ज हो जाएगी।
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मुंबई में क्या हुआ
मुंबई पुलिस कमिश्नर के अनुसार हंसा नामक एक निजी रिसर्च एजेंसी को पता चला की कुछ न्यूज टीवी चैनलों द्वारा ऐसी छेड़छाड़ की जा रही है और उसने पुलिस को इसकी शिकायत की। हंसा ने अपने ही एक कर्मचारी को भी इसमें शामिल पाया और उसे नौकरी से निकाल उसके बारे में पुलिस को जानकारी दी। हंसा की शिकायत के आधार पर मुंबई पुलिस ने राष्ट्रीय न्यूज चैनल रिपब्लिक और दो मराठी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की। पुलिस ने मराठी चैनलों के मालिकों को गिरफ्तार कर लिया है और रिपब्लिक के निदेशकों और प्रोमोटरों के खिलाफ धोखाधड़ी की जांच शुरू कर दी है। रिपब्लिक ने इन आरोपों का खंडन किया है और कमिश्नर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की घोषणा की है।
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