जल जीवन मिशन: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने मणिपुर के CM के साथ किया विचार-विमर्श

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के साथ मणिपुर में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।

Update:2020-07-10 21:48 IST

नई दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के साथ मणिपुर में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। यह चर्चा जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा पिछले 3 महीनों से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ किए जा रहे विचार-विमर्श के तहत ही की गई।

इस दौरान राज्यों की जलापूर्ति योजनाओं का विश्लेषण किया जाता है, ताकि गांवों में घरेलू नल कनेक्शन प्रदान किए जा सकें। भारत सरकार राज्यों के साथ साझेदारी में प्रमुख कार्यक्रम ‘जल जीवन मिशन’ को कार्यान्वित कर रही है, जिससे कि देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार के यहां किफायती सेवा वितरण शुल्क पर नियमित रूप से और लंबे समय तक निर्धारित मात्रा में पेयजल की आपूर्ति के लिए कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) सुनिश्चित किया जा सके। इससे उनका जीवन स्तर बेहतर हो जाएगा। दरअसल, सरकार इसके लिए प्रयासरत है कि कोविड-19 के मौजूदा संकट काल के दौरान प्राथमिकता के आधार पर ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान कर दिए जाएं, ताकि ग्रामीणों को जल लाने के लिए सार्वजनिक पाइपलाइन वाले जल स्‍थलों पर न जाना पड़े।

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मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि राज्य के सभी परिवारों को वर्ष 2022 तक नल कनेक्शन उपलब्ध करा दिए जाएंगे। पाइप से जलापूर्ति के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों की सभी बस्तियों को कवर किया जाएगा जिसका उद्देश्‍य गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों को अपने घर के परिसर में ही नल कनेक्शन उपलब्‍ध कराना है। मणिपुर वर्ष 2024 के राष्ट्रीय लक्ष्य से काफी पहले वित्त वर्ष 2021-22 तक ही इस दृष्टि से 100% कवरेज की योजना बना रहा है। इसके साथ ही मणिपुर हर ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन देने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्‍त‍ करने वाला पूर्वोत्तर का पहला राज्य बन जाएगा।

मणिपुर में 4.51 लाख ग्रामीण परिवारों में से 0.32 लाख परिवारों (7.17%) को एफएचटीसी प्रदान कर दिए गए हैं। मणिपुर ने शेष 4.19 लाख परिवारों में से 2 लाख परिवारों को वर्ष 2020-21 के दौरान नल कनेक्शन देने की योजना बनाई है। यह राज्य चालू वर्ष के दौरान 1 जिले और 15 ब्लॉकों एवं 1,275 गांवों में 100% कवरेज सुनिश्चित करने की योजना बना रहा है।

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वर्ष 2020-21 में 131.80 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है और इस राज्य की हिस्सेदारी सहित 216.2 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं। राज्य भौतिक और वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त आवंटन पाने का पात्र है। चूंकि पीआरआई को 15वें वित्त आयोग अनुदान के तहत मणिपुर को 177 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और इसके 50% का उपयोग जलापूर्ति एवं स्वच्छता के लिए किया जाना है, इसलिए इसके मद्देनजर केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री से ग्रामीण जलापूर्ति, धूसर जल के प्रबंधन और सबसे महत्वपूर्ण जलापूर्ति योजनाओं का दीर्घकालिक परिचालन एवं रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए इस कोष का उपयोग करने की योजना बनाने का अनुरोध किया।

केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री से ग्राम पंचायत की एक उप-समिति के रूप में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति/पानी समितियों का गठन करने का आग्रह किया जिसमें न्यूनतम 50% महिला सदस्य हों। इस पर ही गांव के भीतर अवस्थित जलापूर्ति से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की योजना बनाने, डिजाइनिंग, कार्यान्वयन और परिचालन एवं रखरखाव करने की जिम्मेदारी होगी।

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विचार-विमर्श के दौरान इस बात पर भी विशेष बल दिया गया कि सभी गांवों को ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार करनी होगी, जिसमें पेयजल स्रोतों का विकास/संवर्द्धन, जलापूर्ति घटक, धूसर जल का प्रबंधन और संचालन एवं रखरखाव घटक अनिवार्य रूप से शामिल होंगे। मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गया कि वे इस मिशन और आईईसी अभियान के साथ-साथ समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित करने की जरूरतों पर भी फोकस करें, ताकि जल जीवन मिशन को एक जन आंदोलन में तब्‍दील किया जा सके।

चर्चा के दौरान यह रेखांकित किया गया कि हर साल सभी पेयजल स्रोतों का रासायनिक मापदंडों पर एक बार और बैक्टीरिया या जीवाणु संबंधी संदूषण के मापदंड पर दो बार (मानसून से पहले एवं इसके बाद) परीक्षण करने की आवश्यकता है। राज्य से यह भी कहा गया कि वह हर गांव में कम से कम पांच व्यक्तियों, मुख्‍यत: महिलाओं का प्रशिक्षण सुनिश्चित करे, ताकि फील्‍ड टेस्‍ट किट (एफटीके) के जरिए जल की गुणवत्ता पर निरंतर करीबी नजर रखी जा सके।

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कोविड-19 महामारी के संकट काल के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करने के प्रयासों से निश्चित रूप से ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों की ‘दूर से जल लाने संबंधी भारी परेशानी’ समाप्‍त होने से उनकी जिंदगी आसान होगी और इसके साथ ही वे सुरक्षित एवं सम्मानजनक जीवन जी सकेंगी।

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