UP Politics: राजनीति के खेल में फंसे मंत्री आशीष पटेल,अपनी ही सरकार में पड़े अलग-थलग, पल्लवी पटेल के दम पर हो रहा खेल!
UP Politics: यूपी की राजनीति में एक नई राजनीतिक लड़ाई आकार ले रही है, जिसमें योगी आदित्यनाथ की सरकार के भीतर ही एक आंतरिक संघर्ष उभरकर सामने आ रहा है। इस संघर्ष के केंद्र में हैं कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल, पल्लवी पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई राजनीतिक लड़ाई आकार ले रही है, जिसमें योगी आदित्यनाथ की सरकार के भीतर ही एक आंतरिक संघर्ष उभरकर सामने आ रहा है। इस संघर्ष के केंद्र में हैं कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल, पल्लवी पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। आशीष पटेल, जो कि अपनी ही सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कई गंभीर आरोप लगा रहे हैं, ने योगी सरकार के दो महत्वपूर्ण विभागों और अफसरों पर निशाना साधा। उनके आरोपों ने न केवल सरकार के भीतर की खींचतान को उजागर किया, बल्कि उत्तर प्रदेश की सियासी पिच पर एक नया मोर्चा भी खोल दिया है। इसके अलावा ,केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, जो अपना दल (एस) की अध्यक्ष हैं, ने योगी सरकार पर कई मोर्चों पर हमले किए हैं। ओबीसी, एसटी, एससी नियुक्तियों में भेदभाव पर सवाल उठाने के बाद, मिर्जापुर में पुलिस कार्यशैली पर भी कड़ी आलोचना की, जिससे यूपी की राजनीति में उथल-पुथल मची थी।
आशीष पटेल ने यह आरोप लगाया कि यूपी STF से उनकी जान को खतरा है, जबकि सूचना विभाग पर उन्होंने यह इल्जाम लगाया कि उनके अच्छे कामों को दबाया जा रहा है और नकारात्मक खबरें फैलाने का काम किया जा रहा है। पटेल का कहना है कि उनका चरित्र हनन किया जा रहा है और इसके पीछे बड़े सियासी ताकतों का हाथ है। इसने मामला सियासी रंग लेने की ओर इशारा किया है। उन्होंने पल्लवी पटेल के आरोपों का जवाब देते हुए यह कहा कि उनके खिलाफ साजिश करने वाले तत्वों के नाम अब सबको मालूम हैं। आशीष पटेल ने इसे और भी गरमाते हुए यह कह दिया कि अगर प्रधानमंत्री या गृह मंत्री का इशारा हो, तो वह एक सेकंड में मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।
आशीष पटेल की यह टिप्पणी सीधे तौर पर योगी सरकार के ऊपर सवाल खड़ा करती है। उनका यह कहना कि उनकी सत्ता का असली नियंत्रण बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में है, यह दर्शाता है कि उनके लिए योगी सरकार का महत्व बहुत कम है। यह बयान न केवल उनके राजनीतिक विचारों को उजागर करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि वह अपने भविष्य के लिए दिल्ली में बैठे नेताओं पर निर्भर हैं, न कि राज्य सरकार के मुख्यमंत्री पर।
इसके अलावा, आशीष पटेल की पत्नी, केंद्रीय मंत्री और अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने लगातार योगी सरकार पर कई मुद्दों को लेकर तीखे हमले किए हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद, बीजेपी की सहयोगी पार्टी, अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल के बयानों ने योगी सरकार को घेर लिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर ओबीसी, एसटी और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति में भेदभाव के आरोप लगाए थे, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी। इसके अलावा, पिछले महीने मिर्जापुर में एक कार्यकर्ता की पिटाई के मामले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए अनुप्रिया पटेल ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था। इन घटनाओं ने यूपी की राजनीति को और भी गरमा दिया है, और अब योगी सरकार के लिए अपनी छवि को बचाना एक चुनौती बन गया है।
वहीं दूसरी ओर, पल्लवी पटेल की स्थिति भी बेहद दिलचस्प है। सिराथू से समाजवादी पार्टी की विधायक पल्लवी पटेल ने प्राविधिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, और यह आरोप सीधे तौर पर आशीष पटेल से जुड़े विभाग पर है। पल्लवी ने कहा कि पुरानी सेवा नियमावली के तहत नियुक्तियां की गई हैं, जो कि अनियमित थीं। उनका यह आरोप और विधानसभा में धरना, अब एक बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बन चुका है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि पल्लवी पटेल का यह प्रदर्शन बीजेपी के समर्थन से हो रहा है, जिससे आशीष पटेल पर दबाव बनाया जा सके।
यह न केवल आशीष पटेल और पल्लवी पटेल के बीच का व्यक्तिगत विवाद है, बल्कि यह भाजपा और अपनी सहयोगी पार्टी अपना दल के बीच का भी एक कड़ा सियासी टकराव बन चुका है। आशीष पटेल का आरोप है कि पल्लवी पटेल के पीछे किसी बड़े सियासी ताकत का हाथ है, जो उन्हें हवा दे रहा है। अगर यह सच साबित होता है, तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में इसे एक बड़े राजनीतिक चाल के रूप में देखा जाएगा।
इस स्थिति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रुख पर अब सबकी नजरें हैं। क्या वह इस सियासी बवाल में कूदेंगे, या फिर चुप्पी साधकर इसे खुद से दूर रखने की कोशिश करेंगे? या फिर यह मामला जैसा चल रहा है वैसे ही आगे बढ़ेगा? इन सवालों का जवाब आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे सकता है। कुल मिलाकर, यह सियासी लड़ाई अब न केवल आशीष पटेल और पल्लवी पटेल के बीच की व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने यूपी की राजनीति को एक नई दिशा और मोड़ दे दिया है।