पत्नियां जैसे ही गुजारा भत्ता मांगती है, पति कहते हैं कि हम कंगाल हो गए: सुप्रीम कोर्ट

देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब अलग रह रहीं पत्नियां गुजारा भत्ते की मांग करती हैं तो पति कहने लगते हैं कि वे आर्थिक तंगी में जी रहे हैं या कंगाल हो गए हैं।

Update: 2019-01-23 10:34 GMT

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब अलग रह रहीं पत्नियां गुजारा भत्ते की मांग करती हैं तो पति कहने लगते हैं कि वे आर्थिक तंगी में जी रहे हैं या कंगाल हो गए हैं।

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शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी एक अस्पताल में काम करने वाले हैदराबाद के एक डॉक्टर को देते हुए की कि वह सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं छोड़ दे, क्योंकि उसकी पत्नी गुजारा भत्ता मांग रही है।

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हाईकोर्ट ने डॉक्टर को निर्देश दिया गया था कि वह अलग रह रही अपनी पत्नी को गुजारे के लिए अंतरिम तौर पर 15,000 रुपए प्रतिमाह दे। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से पारित इस आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया।

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कोर्ट ने कहा कि हमें बताएं कि आज के वक्त में क्या किसी बच्चे का पालन-पोषण महज 15,000 रुपए में करना संभव है? इन दिनों, जैसे ही पत्नियां गुजारा भत्ते की मांग करती हैं तो पति कहने लगते हैं कि वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं या कंगाल हो गए हैं। आप इसलिए नौकरी नहीं छोड़ दें क्योंकि आपकी पत्नी गुजारा भत्ते की मांग कर रही है।

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याचिकाकर्ता पति के वकील ने कहा कि अंतरिम सहायता के तौर पर तय की गई राशि बहुत ज्यादा है और सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट का आदेश दरकिनार कर देना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता एक प्रतिष्ठित अस्पताल में डॉक्टर है और वैसे भी यह अंतरिम आदेश है जिसमें दखल की जरूरत नहीं है।

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