Arvind Kejriwal Bail: क्या जम्मू-हरियाणा में CM केजरीवाल कर पाएंगे चुनाव प्रचार? कल का दिन AAP के लिए बेहद अहम
Arvind Kejriwal Bail: सीएम केजरीवाल ने अपनी याचिका में आप के राष्ट्रीय संयोजक ने आबकारी नीति मामले में जमानत मांगी है। साथ ही, इसी मामले म केजरीवाल ने उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को भी चुनौती दी है।
Arvind Kejriwal Bail: आबकारी घोटाले के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। कल उनकी रिहाई पर पड़ा फैसला आने वाला है, जिसके बाद पता चलेगा कि वह जेल से बाहर आएंगे या फिर नहीं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट शराब नीति घोटाले के सीबीआई मामले में 13 सितंबर, शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुनाने जा रही है। केजरीवाल पर देश की शीर्ष अदालत का फैसला ऐसे समय आ रहा है, जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव नजदीक है। अगर कल कोर्ट से उन्हें जमानत मिल जाती है तो यह आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए बड़ी राहत होगी, क्योंकि केजरीवाल पार्टी के स्टार प्रचारक हैं और वे रिहाई के बाद दोनों राज्य के चुनाव में चुनाव प्रचार का जिम्मा उठा सकते हैं, जिससे आप बड़ा फायदा हो सकता है।
केजरीवाल की रिहाई पर फैसला कल
सीएम केजरीवाल ने अपनी याचिका में आप के राष्ट्रीय संयोजक ने आबकारी नीति मामले में जमानत मांगी है। साथ ही, इसी मामले म केजरीवाल ने उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को भी चुनौती दी है। सुप्रीम में केजरीवाल की जमानत याचिका का मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष लगा हुआ है। केजरीवाल और सीबीआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 05 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर कोर्ट कल अपना फैसला देने वाली है।
सीबीआई ने किया कोर्ट में विरोध
सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा न खटखटाने पर केजरीवाल पर आपत्ति जताई। केजरीवाल ने जमानत के लिए सीधे दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और फिर उच्चतम न्यायालय का रुख किया। उन्होंने सत्र न्यायालय में जाए बिना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। यह मेरी प्रारंभिक आपत्ति है। गुण-दोष के आधार पर ट्रायल कोर्ट पहले इसे देख सकता था। उच्च न्यायालय गुण-दोष देखने के लिए बनाया गया था और यह केवल असाधारण मामलों में ही हो सकता है। सामान्य मामलों में सत्र न्यायालय का दरवाजा पहले खटखटाया जाना चाहिए।
बाहर आने पर प्रभावित हो सकते हैं गवाह
सीबीआई के वकील ने कहा कि केजरीवाल एक असाधारण व्यक्ति प्रतीत होते हैं, जिनके लिए अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है। ASG ने कहा कि वे एक प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तित्व हैं। अन्य सभी आम आदमी को सत्र न्यायालय जाना होगा। पिछली सुनवाई में केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई के वकील यदि केजरीवाल जमानत पर बाहर आते हैं, तो गवाह मुकर जाएंगे।
कोर्ट में केजरीवाल के वकील का तर्क
केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें दो बार रिहा किया था एक बार मई में चुनाव प्रचार के लिए और दूसरी बार उन्हें आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामले में अंतरिम जमानत दी गई थी। सीबीआई ने 26 जून को केजरीवाल को गिरफ्तार किया, जबकि दो साल में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि केजरीवाल समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं, वे कोई कठोर अपराधी नहीं हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट से मिला था झटका
बीते 5 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी को कानूनी करार दिया था। इसने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि पर्याप्त सबूत एकत्र किए जाने और अप्रैल 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही सीबीआई उनके खिलाफ आगे की जांच शुरू करेगी।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीबीआई के कृत्यों में कोई दुर्भावना नहीं थी, जो दर्शाता है कि केजरीवाल कैसे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सकते हैं।
21 मार्च को हुए थे केजरीवाल गिरफ्तार
बता दें कि केजरीवाल को 21 मार्च, 2024 को ईडी ने अब रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दे दी थी, जबकि ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया था। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को 26 जून, 2024 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, जिससे वह जमानत के बाद भी तिहाड़ जेल से बाहर नहीं आ पाए।