Women Reservation Bill: OBC के मुद्दे पर घिरी कांग्रेस, पार्टी की जिद से ही 13 साल पहले लटका था बिल, अब सोनिया की मांग पर सत्ता पक्ष हुआ हमलावर

Women Reservation Bill:

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2023-09-20 12:13 GMT

Women Reservation Bill: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन तो किया मगर कोटे में कोटा की मांग उठाकर मोदी सरकार की मुश्किलों को बढ़ाने की कोशिश भी की। वैसे कांग्रेस की ओर से जो मांग आज उठाई जा रही है,उस मांग को पार्टी ने अपनी सरकार के समय पूरा किया होता तो महिला आरक्षण विधेयक 13 साल पहले ही पारित हो गया होता। उस समय समाजवादी पार्टी और राजद समेत कुछ दलों ने यह मांग उठाई थी मगर मनमोहन सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी। कांग्रेस की जिद के कारण ही यह विधेयक उस समय लटक गया था।

कांग्रेस की ओर से उठाई गई इस मांग पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और अपना दल की नेता व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। दुबे ने सवाल किया कि निकाय चुनाव के लिए आरक्षण तय करते समय कांग्रेस को ओबीसी की याद क्यों नहीं आई। अनुप्रिया पटेल ने भी कांग्रेस से सवाल किया कि जब 2010 में मनमोहन सरकार की ओर से इस बिल को पेश किया गया था तब कांग्रेस को ओबीसी महिलाओं को आरक्षण देने का ख्याल क्यों नहीं आया। दरअसल कांग्रेस के लिए इन सवालों का जवाब देना आसान नहीं है। अब विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की रणनीति के तहत कांग्रेस ने इस मामले में यूटर्न ले लिया है।

सोनिया गांधी ने उठाई कोटे में कोटा की मांग

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को भावुकता भरे अंदाज में अपने पति पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का लोकसभा में जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी के प्रयासों के कारण ही आज स्थानीय निकायों में हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। अभी राजीव गांधी का सपना आधा ही पूरा हुआ है और इस बिल के पास होने से उनका सपना पूरा होगा।

सोनिया गांधी ने बिल का समर्थन करने के साथ ही कोटे में कोटा तय करने की मांग भी उठा दी। उन्होंने कहा कि सरकार को देश में जातिगत जनगणना कराकर एससी,एसटी और ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। इस दिशा में सरकार की ओर से अविलंब कदम उठाया जाना चाहिए।

पहले बिल की मांग और फिर अलग लाइन

महिला आरक्षण बिल की सुगबुगाहट के बाद से ही कांग्रेस की ओर से इसे काफी अहम बिल बताया जाता रहा है। कांग्रेस ने इस बाबत सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी गई चिट्ठी का भी जिक्र किया था। कांग्रेस में जल्द से जल्द इस विधेयक को मंजूरी देने की बात कही थी मगर लोकसभा में इस बिल को पेश किए जाने के बाद कांग्रेस अगर लाइन पर चलती हुई दिखने लगी।

कांग्रेस की ओर से इसे मोदी सरकार का जुमला और धोखा बताया जाने लगा। कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियों में कहा गया कि यह बिल 2029 के चुनाव से पूर्व लागू नहीं हो पाएगा और मोदी सरकार महिलाओं को आरक्षण देने के प्रति गंभीर नहीं है।

13 साल पहले अपनी जिद पर अड़ी थी कांग्रेस

अब सोनिया गांधी के भाषण से साफ हो गया है कि पार्टी ने पूरी तरह यूटर्न ले लिया है। पार्टी की ओर से वही मांगें रख दी गई है जो 13 साल पूर्व समाजवादी पार्टी और राजद जैसे दलों की ओर से उठाई गई थी। इसके साथ ही जातिगत जनगणना की मांग भी उठा दी गई है। 13 वर्ष पूर्व जब कुछ विपक्षी दलों की ओर से यह मांग उठाई गई थी तो कांग्रेस अपनी जिद पर खड़ी हुई थी और इसी कारण यह विधेयक लटक गया था। अब कांग्रेस की रणनीति खुद को महिला बिल का समर्थक साबित करने और मोदी सरकार की राह में रुकावटें पैदा करने की लग रही है।

निकायों और पंचायत में क्यों नहीं दिया आरक्षण

झारखंड से भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने सोनिया गांधी की ओर से उठाई गई इस मांग पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ओबीसी आरक्षण के प्रति इतना गंभीर थी तो निकाय और पंचायत चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से ओबीसी आरक्षण क्यों नहीं दिया गया। उन्होंने इस बिल का क्रेडिट लेने के मुद्दे पर भी कांग्रेस पर तीखा हमला बोला।

उन्होंने कहा कि खेल की दुनिया में गोल करने वाले को ही गोल का क्रेडिट दिया जाता है और यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोल करने के लिए तैयार बैठे हैं। इसलिए इस बिल का क्रेडिट भी उन्हीं के खाते में दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और राजद जैसी परियों इस बिल को लागू नहीं होने देना चाहतीं और कांग्रेस भी अब इसमें मददगार बन रही है।

2010 में कांग्रेस को OBC की क्यों नहीं आई याद

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी कांग्रेस सरकार के समय पेश किए गए महिला आरक्षण विधेयक को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण को लेकर लंबे समय से कवायद की जा रही है और इस बार मोदी सरकार यह बिल लेकर आई है। हमें उम्मीद है कि इस बार संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि एससी,एसटी और ओबीसी महिलाओं को इसमें शामिल करने की मांग अनुचित नहीं है मगर मेरे मन में यह जिज्ञासा जरूर है कि जब 2010 में कांग्रेस ने इस बिल को पास कराया था तब उसे ओबीसी आरक्षण की याद क्यों नहीं आई। अब मोदी सरकार की ओर से इस बिल को पेश किया गया है तो आपको ओबीसी आरक्षण की चिंता सताने लगी।

अनुप्रिया ने कहा कि अगर सरकार बिल लेकर नहीं आती तो आप महिला विरोधी सरकार का आरोप लगाते और अब जब सरकार की ओर से बिल लाया गया है तो आप चुनाव के मद्देनजर बिल लाने की बात कह रहे हैं।

कांग्रेस के लिए इस हमले का जवाब आसान नहीं

दरअसल यह सच्चाई है कि 13 साल पहले यदि कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण का प्रावधान बिल में जोड़ दिया होता तो यह बिल उस समय ही आसानी से पास कराया जा सकता था मगर कांग्रेस बिल में किसी भी तरह के संशोधन के लिए तैयार नहीं थी। अब महिला आरक्षण के मुद्दे पर मोदी सरकार को कामयाबी मिलती देख कांग्रेस की ओर से विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाया जाने लगा है।

यही कारण है कि सत्ता पक्ष के नेताओं ने सोनिया गांधी और कांग्रेस पर तीखा हमला जवाब बोला है और इस हमले का जवाब देना कांग्रेस के लिए आसान नहीं माना जा रहा है। महिला आरक्षण विधेयक के क्रेडिट की इस जंग में भाजपा भारी पड़ती दिख रही है जो कांग्रेस को किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।

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