Maha Kumbh 2025: ऊंटों में सवार नागाओं की फौज के साथ महाकुंभ में श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े का महाकुम्भ नगर में हुआ भव्य प्रवेश

Maha Kumbh 2025: महाकुम्भ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण 13 अखाड़ों का महाकुम्भ नगर में प्रवेश का सिलसिला आगे बढ़ रहा है। श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़े ने पूरी भव्यता , राजसी अंदाज और विशिष्ट संदेश के साथ महाकुम्भ नगर में प्रवेश किया।

Report :  Dinesh Singh
Update:2024-12-22 20:04 IST

 Maha Kumbh 2025 ( Pic- Newstrack)

Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में जनवरी 2025 में आयोजित होने जा रहे महाकुम्भ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण 13 अखाड़ों का महाकुम्भ नगर में प्रवेश का सिलसिला आगे बढ़ रहा है। श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़े ने पूरी भव्यता , राजसी अंदाज और विशिष्ट संदेश के साथ महाकुम्भ नगर में प्रवेश किया। जगह जगह श्रद्धालुओं और महाकुम्भ प्रशासन ने पुष्प वर्षा कर अखाड़े के संतों का स्वागत किया।

सनातन धर्म के सबसे प्राचीन अखाड़े का महाकुम्भ नगर छावनी में हुआ भव्य प्रवेश

त्रिवेणी के तट पर लगने जा रहे आस्था के महा समागम में सनातन धर्म के विभिन्न अखाड़ों का महाकुम्भ नगर में प्रवेश का सिलसिला तेज हो गया है। रविवार को सनातन धर्म के 13 अखाड़ों में सबसे पहले अस्तित्व में आए श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े का महाकुम्भ नगर छावनी में प्रवेश हो गया ।श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े ने अपने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी की अगुवाई में अपनी छावनी में प्रवेश किया। छावनी प्रवेश यात्रा की शुरुआत अखाड़े ने मड़ौका स्थित आवाहन अखाड़े के स्थानीय आश्रम से हुई । अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी जी का कहना है

  श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा सबसे प्राचीन अखाड़ा है जो अब तक प्रयागराज में 122 महाकुम्भ और 123 कुम्भ कर चुका है। अपने विशिष्ट संकल्प के साथ अखाड़े में महाकुम्भ क्षेत्र में प्रवेश किया है। विभिन्न मार्गों से होते हुए अखाड़े ने तो त्रिवेणी पांटून पुल से अपनी छावनी में प्रवेश किया।अखाड़े के श्री महंत गोपाल गिरी बताते हैं कि अखाड़े की इस छावनी प्रवेश यात्रा में एक दर्जन से अधिक महा मंडलेश्वर और 51 श्री महंतों के अलावा बड़ी संख्या ने नागा संन्यासी शामिल हुए।

प्रवेश यात्रा में गूंजे वृक्ष लगाओ , सृष्टि बचाओ के उदघोष

श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े की इस भव्य छावनी प्रवेश यात्रा में रथों में सवार महा मंडलेश्वर के अलावा घोड़ों और ऊंटों में सवार नागा संन्यासी श्रृद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने। प्रवेश यात्रा में सबसे आगे अखाड़े के देवता भगवान गजानन की का रथ था इसके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वर रमता पंच । रमता पंच के बाद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर का रथ चल रहा था। प्रवेश यात्रा में संतों की तरफ से वृक्ष लगाओ , सृष्टि बचाओ के उद्घोष भी किए जा रहे थे। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी जी का कहना है कि उनके अखाड़े का मूल उद्देश्य सनातन का प्रचार प्रसार और धर्म की रक्षा करना है। लेकिन वर्तमान समय में सृष्टि के सामने सबसे बड़ा संकट पर्यावरण की रक्षा का है। इसके लिए वह वृक्ष लगाओ, सृष्टि बचाओ महा अभियान के अंतर्गत श्रद्धालुओं और सनातनियों से वृक्ष लगाने का संकल्प ले रहे हैं। उनका कहना है कि वह स्वयं महाकुम्भ में इस बार अखाड़े में आने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में 51 हजार फलदार पौधे दे रहे हैं। अखाड़े के शिविर में धरा की रक्षा के लिए भी विविध आयोजन किए जाएंगे।


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