लखनऊ: यूपी के सीएम अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट नाइट सफारी सरकारी मशीनरी के कानूनी पचड़ों में फंस कर रह गया है। साल 2013 में इस परियोजना को कैबिनेट से मंजूरी मिली तो तय किया गया कि 2014 में नाइट सफारी का काम शुरू होगा। लेकिन कानूनी परामर्श की प्रक्रिया के अभाव में अभी तक परियोजना के लिए डवलपर्स का चयन तक नहीं हो सका है।
दो साल बाद भी औद्योगिक विकास विभाग नहीं ले सका कानूनी परामर्श
डवलपर्स का चयन करने के लिए सात नवंबर 2014 को वर्कशाप आयोजित किया गया था। वर्कशाप में मिले प्रस्ताव के आधार पर टेंडर प्रकाशित किया जाना था। पर एक साल से अधिक समय बीतने के बाद भी औद्योगिक विकास विभाग इसके लिए जरूरी कानूनी परामर्श नहीं ले पाया है।
260 हेक्टेयर जमीन पर है बनना
-यह प्रोजेक्ट ग्रेनों के मुर्शदपुर गांव के पास यमुना एक्सप्रेस वे के करीब 260 एकड़ में बनाया जाना है।
-इस पर 900 से 1000 करोड़ रुपए लागत का अनुमान है।
-केंद्र सरकार, पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय जू अथॉरिटी से मिल चुकी है एनओसी।
-कैबिनेट से मंजूरी के बाद बढ़ी थी उम्मीदें।
बढ़ती रही समय सीमा
जब ग्रेटर नोएडा में नाइट सफारी बनाए जाने की यूपी कैबिनेट से मंजूरी मिली तो प्रदेश में पर्यटन के प्रगति की उम्मीदें बढ़ीं पर यह ज्यादा दिन तक टिक न सकी। बढ़ते समय के साथ लगातार इस परियोजना की शुरुआत की समय सीमा भी बढ़ ही रही है।
क्या है नाइट सफारी
-नाइट सफारी का मतलब होता है रात में जानवरों की गतिविधियों को देखना।
-इसके लिए कृत्रिम रोशनी की व्यवस्था की जाती है ताकि पर्यटक रात में घूमने का आनंद उठा सकें।
-सफारी में जानवरों के लिए बड़ा क्षेत्रफल होता है।
-दर्शकों के लिए एक निर्धारित सीमा होती है।
-यहां भ्रमण करने के लिए विशेष गाड़ियां भी उपलब्ध कराई जाती हैं।
अभी तक चार देशो में है नाइट सफारी
-नाईट सफारी अभी तक मलेशिया, सिंगापुर, चीन और थाइलैंड में है।
-ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस वे के समीप 250 एकड़ में नाइट सफारी बनाई जानी है।
-इसमें विभिन्न प्रजातियों के पशु-पक्षी देखे जा सकेंगे।
-शेर और चीते समेत तमाम जानवर खुले में रहेंगे और सैलानी बख्तरबंद गाड़ियों में उन्हें देख सकेंगे।
-पांच और सात सितारा होटल के साथ कैसीनो और पब भी होंगे।
-60 एकड़ भूमि पर पांच सितारा और सात सितारा होटल भी होंगे ताकि दर्शक मौज-मस्ती करने के साथ जानवरों को भी देख सकें।व