HC ने पूछा- UP में मुस्लिम विवाह में पंजीकरण अनिवार्य है या नहीं ?

Update: 2016-07-21 15:20 GMT

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को यूपी सरकार से पूछा है कि मुस्लिम शादियों का पंजीकरण कराना अनिवार्य है या नहीं। कोर्ट ने सचिव अल्पसंख्यक विभाग से इस मामले में हलफनामा दाखिल कर जानकारी देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीमा बनाम अश्विनी कुमार केस में दिए गए निर्णय पर सरकार ने क्या कदम उठाया है।

बता दें, कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल सीमा बनाम अश्विनी कुमार के केस में देश के सारे राज्यों को निर्देश दिया है कि वह बिना धर्म का भेदभाव किए देश के प्रत्येक नागरिकों के विवाह को पंजीकरण करने की अनिवार्यता संबंधी नियम बनाएं। जिन राज्यों में नियम है वहां ऐसा करने की जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने यह जानना चाहा है कि यूपी में सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का अनुपालन हुआ है अथवा नहीं।

याची का क्या कहना है ?

-कानपुर की रोशनी द्विवेदी उर्फ रोशनी रिजवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने दिया है।

-याची का कहना था कि वह बालिग है और अपनी मर्जी से उसने मुस्लिम युवक से विवाह किया है।

-हाईकोर्ट से मांग की गई कि उसके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करने का आदेश दिया जाए।

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कोर्ट ने प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक विभाग से मांगी जानकारी

-कोर्ट ने जानना चाहा कि याची ने अपने विवाह का स्पेशल मैरिज एक्ट में पंजीकरण कराया है या नहीं।

-याची के वकीलों का कहना है कि उनके यहां निकाह ही पर्याप्त है।

-इसका पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है।

-इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक विभाग से जानकारी मांगी है कि मुस्लिमों के लिए विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य है या नहीं।

-कोर्ट ने याची को निर्देश दिया है कि वह अपनी सुरक्षा की मांग के लिए एसएसपी कानपुर को प्रार्थना पत्र दे सकती हैं।

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पूर्व एमएलए के शादी घर की डीएम को जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को हमीरपुर से बसपा के पूर्व एमएलए अशोक चंदेल द्वारा अपने आवासीय जमीन में कमरे बनाकर विवाह पंडाल लगाने जांच कानपुर नगर के डीएम को सौंपी है। कोर्ट ने डीएम को यह भी निदेश दिया है कि वह जांच में दोषी पाए जाने वाले लोगों पर कार्यवाही कर रिपोर्ट पेश करें।

कोर्ट ने डीएम से कहा है कि वह पता लगाएं कि विवाह गृह चला है या नहीं। कोर्ट ने इस बाबत 9 अगस्त को रिपोर्ट मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति ए के मिश्र की खंडपीठ ने सरला झा की याचिका पर दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी।

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कानपुर विकास प्राधिकरण के वकील का क्या है कहना ?

-इससे पहले कोर्ट ने कानपुर विकास प्राधिकरण से हलफनामा मांगा था कि क्या पूर्व एमएलए के आवास में विवाह गृह चल रहा है।

-प्राधिकरण के वकील अनूप त्रिवेदी ने हलफनामा दायर कर बताया कि एमएलए ने अवैध रूप से बिना नक्शा पास कराए पांच कमरे बनाए हैं।

-जिसे गिराने के लिए नोटिस दी गई है, लेकिन यह नहीं बताया कि जमीन पर विवाह घर चल रहा है या नहीं।

कोर्ट ने डीएम को दिए जांच के निर्देश

-इस पर कोर्ट ने डीएम को इसकी जांच कर कार्यवाही रिपोर्ट देने को कहा है।

-साथ ही एमएलए के वकील से भी कहा है कि वह स्वयं विवाह गृह बंद कर दें।

-जबकि इनका कहना है कि वह उनका रिहायशी स्थल है।

-वहीं जबकि याची का कहना है कि शादी घर के चलते कॉलोनी में ध्वनि प्रदूषण से लोगों का जीवन कठिन हो गया है।

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