UP:...जब चीफ जस्टिस ने महाधिवक्ता से कहा- बहस नहीं कर पा रहे हैं सरकारी वकील
रामानंद पांडेय
इलाहाबाद: प्रदेश की योगी सरकार के नवनियुक्त सरकारी वकीलों की इस सूची से न केवल संघ और बीजेपी के लोग नाराज हैं, बल्कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीबी भोसले भी असंतुष्ट हैं। योग्यता को दरकिनार कर नए वकीलों को सरकारी वकील बनाने से न केवल सरकार का नुकसान हो रहा है, बल्कि उसकी छवि भी धूमिल हो रही है। सरकारी वकील जो कोर्टों में बहस के लिए लगाए गए हैं वे ठीक से अदालतों में सरकार का पक्ष नहीं रख पा रहे हैं।
यही कारण था कि चीफ जस्टिस की बेंच ने मुकदमों में सरकार का पक्ष नहीं रख पा रहे। चीफ जस्टिस की कोर्ट में तैनात सरकारी वकीलों की शिकायत के लिए एडवोकेट जनरल राघवेन्द्र सिंह को बुलाया। चीफ जस्टिस ने एडवोकेट जनरल से कहा, कि 'मेरी कोर्ट में सरकार की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है, आप यहां कोई सीनियर अपर महाधिवक्ता को लगाइए, ताकि कोर्ट काम कर सके।'
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मनीष गोयल चीफ जस्टिस की कोर्ट में तैनात
चीफ जस्टिस की इस शिकायत पर महाधिवक्ता ने कहा, कि 'वह आज से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल की तैनाती चीफ जस्टिस की कोर्ट में करेंगे।' कमोवेश यही हाल हर कोर्ट में सरकारी वकीलों का हो रहा है। हर कोर्ट सरकार की तरफ से बहस न कर पा सकने को लेकर नाराज है।
चार अपर महाधिवक्ता कोर्ट में तलब
जस्टिस अभिनव उपाध्याय ने तो चार अपर महाधिवक्ताओं को कोर्ट में तलब कर काम नहीं कर पा रहे सरकारी वकीलों की शिकायत की। ऐसी ही शिकायतें जस्टिस पीकेएस बघेल की कोर्ट से भी मिल रही है। जुगाड़ से नियुक्त सरकारी वकीलों की नियुक्तियों में योग्यता को दरकिनार कर दिया गया है।
सूची से कोई संतुष्ट नहीं
संघ ने योग्यता के आधार पर जिन नामों की संस्तुति की थी, उन नामों को देखा तक नहीं गया। यही कारण है कि नवनियुक्त सरकारी वकीलों की इस सूची से न केवल सीनियर बीजेपी नेता व संघ नाराज है, बल्कि अब हाईकोर्ट के जज भी नाराज होने लगे हैं।