इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- UP के पुलिस अधिकारी कानून को ताक पर रख दे रहे आदेश

Update: 2017-06-23 11:05 GMT

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी की है। कहा है कि प्रदेश पुलिस के अधिकारी कानून को ताक पर रख अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों व पुलिस कर्मियों के खिलाफ आदेश पारित कर रहे हैं।

कोर्ट ने कहा, कि 'जब पूर्णपीठ के फैसले के आधार पर पुलिस विभाग ने सर्कुलर जारी किया है कि किसी भी पुलिस अधिकारी अथवा पुलिसकर्मी का निलंबन बिना प्रारंभिक जांच पूरी किए बगैर नहीं हो सकता। तो पुलिस विभाग के शीर्ष क्रम के अधिकारी कानून को दरकिनार कर बिना प्रारंभिक जांच पूरी किए अपने मातहत अधिकारियों को निलंबित कैसे कर रहे हैं।' यह आदेश जस्टिस पीके एस बघेल ने जीआरपी कानपुर में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर सतीश कुमार गौतम की याचिका पर दिया है।

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क्या है मामला?

सतीश कुमार गौतम को 26 मई 2017 को आदेश पारित कर आईजी रेलवे पुलिस मुख्यालय, इलाहाबाद ने आरोपों की प्रारंभिक जांच कराए बगैर निलंबित कर दिया। इंस्पेक्टर गौतम पर आरोप है कि कानपुर स्टेशन पर मिली एक लड़की का पता मिल जाने के बाद भी न तो उसे उसके घरवालों को बताया गया और न ही उसे उसके घर के पते पर भेजा गया। बल्कि रात होने के कारण उस लड़की को सीधे नारी प्रगति सेवा संस्थान, काकादेव कानपुर नगर भेज दिया गया।

अगली सुनवाई अब 29 जुलाई को

कोर्ट ने कहा, कि पुलिस ने ऐसा कर असंवेदनशीलता का परिचय दिया। अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि इंस्पेक्टर पर लगा आरोप गलत है और आईजी ने बिना प्रांरभिक जांच किए उसे निलंबित कर गैरकानूनी आदेश पारित किया है। कोर्ट ने आईजी रेलवे से इस मामले में उनका व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है तथा केस की अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई की तिथि निश्चित की है।

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