इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी लेखपाल भर्ती परीक्षा के संशोधित परिणाम के विरोध में दाखिल याचिका पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। याचिका उन कैंडिडेट्स ने दाखिल की है जिनका पहले के घोषित रिजल्ट में सेलेक्शन हो गया था, लेकिन बाद में जारी रिजल्ट में उनको बाहर कर दिया गया है।
बता दें, कि छत्रपाल और विनोद कुमार सहित कई कैंडिडेट्स की याचिका पर जस्टिस पी. के. एस. बघेल सुनवाई कर रहे हैं।
एप्लीकेशन फॉर्म में आरक्षण श्रेणी का कॉलम नहीं भरा
-याची के वकील ने बताया कि याचीगण अनुसूचित जाति के कैंडिडेट्स हैं।
-8 मार्च 2016 को घोषित रिजल्ट में उनका सेलेक्शन हो गया था।
-इसके बाद 11 मार्च 2016 को राजस्व परिषद के चेयरमैन ने पत्र लिखकर कहा कि अनुसूचित जाति के ऐसे कैंडिडेट्स जिन्होंने अपने एप्लीकेशन फॉर्म में आरक्षण श्रेणी का कॉलम नहीं भरा था, सेलेक्ट हुए कैंडिडेट्स से ज्यादा नंबर हासिल करने के बावजूद उनका चयन नहीं हो सका है।
कैटेगरी न घोषित करने वाले कैंडिडेट्स को किया सेलेक्ट
-इसके बाद राज्य सरकार ने 31 मार्च 2016 को संशोधित परिणाम घोषित कर याचीगण को बाहर कर दिया और कैटेगरी न घोषित करने वाले कैंडिडेट्स को सेलेक्ट किया गया।
-याचीगण का कहना है कि जिन कैंडिडेट्स ने अपनी आरक्षित श्रेणी नहीं बताई है वह जनरल कैटेगरी के माने जाएंगे।
-चूंकि जनरल कैटेगरी से उनके अंक कम है इसलिए उनको सेलेक्शन नहीं मिला।
-जबकि राज्य सरकार का कहना था कि कैटेगरी नहीं बताने वाले कैंडिडेट्स के कट ऑफ नंबर आरक्षित वर्ग की कट ऑफ मेरिट से अधिक थे इसलिए उनको सेलेक्ट किया गया है।