मोदी-नीतीश को जीत दिलाने वाले PK ने कांग्रेस को कहा Goodbye, अंतर्कलह से थे नाराज

Update:2016-10-17 12:32 IST

लखनऊ: पीएम मोदी और नीतीश कुमार के लिए काम कर उन्‍हें जीत दिलाने वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए काम कर रहे मैनेजमेंट गुरू प्रशांत किशोर ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है। पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर कांग्रेस की अन्तर्कलह से परेशान थे। कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव 2017 की तैयारियों की कमान पीके ने संभाल रखी थी।

पीके के आने के बाद यूपी में मुर्झाई कांंग्रेस की स्थिति में सुधार दिख रहा था लेकिन अब उनके जाने का असर निश्चित तौर पर दिखेगा। पीके के इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर से प्रशांत किशोर की टीम ने अपना सामान पैक कर लिया है

लोकसभा के 2014 के चुनाव में पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के लिए चाय पर चर्चा से 'चर्चा' में आए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अब कांग्रेस से नाता तोड़़ लिया है। प्रशांत ने बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए भी बेहतरीन काम कर उनके सीएम बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

यह भी पढ़ें ... राहुल ने कतरे PK के पर, काबिल उम्मीदवार छांटने की प्रक्रिया से किया अलग

उनकी इस खासियत को देखते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी की कमान सौंपी थी। पीके के नाम से पहचान बना चुके प्रशांत अब कांग्रेस में चल रही गुटबाजी से उब गए हैं ओर उन्होंने सोमवार को कांग्रेस मुख्यालय नेहरू भवन से अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया ।

यह भी पढ़ें ...RaGa के पॉलिटिकल वॉक द टॉक में दिखा अमेरिका रिटर्न PK का EFFECT

लोकसभा चुनाव 2014 में प्रशांत किशोर ने नरेंद्र मोदी के लिए काम किया था, जबकि बिहार विधानसभा चुनाव में पीके ने नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। इन दोनों जगहों पर पीके को कामयाबी हाथ लगी थी। 2017 में होने वाले यूपी विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को हायर किया था। लेकिन आतंरिक कलह के चलते पीके ने कांग्रेस को बीचे में ही झटका दे दिया है। उन्होेंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है।

यह भी पढ़ें... BJP ने प्रशांत किशोर पर लगाया 9 करोड़ के गबन का आरोप, PK बोले-नोटिस भेजेंगे

आगे की स्‍लाइड्स में पढ़े किस सभा से पीके ने बटोरी तारीफें...

राहुल गांधी 7 जुलाई को कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव का आगाज करने लखनऊ आए थे। इस दौरान उनके नए एक्सपेरिमेंट की बहुत चर्चा हुई थी। इसके पीछे पूरा दिमाग पीके का ही था। राहुल ने खुली सभा में मंच पर घूम घूमकर जनता के सवालों के जवाब दिए थे। यह एक्सपेरिमेंट तो आजतक किसी राजनीतिक दल ने नहीं किया था। ठीक अमरीका के प्रेसिडेंट चुनाव की तरह । जहां प्रत्याशी सीधे जनता के सामने आते हैं और लोगों के सवालों के जवाब देते हैं। सवालों के जवाब के आधार पर ही वहां राजनीतिक पार्टियां अपने प्रत्याशी तय करती हैं।

यह भी पढ़ें... राहुल की पंचायत का कुछ ऐसा हुआ हाल, किसानों ने लूट लिए खाट

पीके ने तैयार किया था राहुल का मंच

यूपी में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार 2011 से तीन साल अमेरिका में रहे। उन्होंने वहां काम किया। इससे पहले वो टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सायंस से एमए की डिग्री ले चुके थे। साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने तो 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में नीतिश कुमार उनकी रणनीति की सेवा ले चुके थे। राहुल के लिए आज पूरा मंच पीके ने ही तैयार किया। रणनीति के अनुसार उन्होंने युवाओं को टारगेट किया।

कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं की अच्छी भीड़ भी जुटाई जो मंच पर मौजूद नेताओं का हौसला बढ़ाने के लिए काफी थी। पीके अच्छी तरह जानते हैं कि देश के 65 प्रतिशत से ज्यादा युवा जिस ओर मुडेंगे सरकार उसकी ही बनेगी। लोकसभा के लिए 2014 के चुनाव में ये साबित भी हो चुका है। जब नरेंद्र मोदी ,युवाओं को भा गए और उन्हें पीएम बनते देर नहीं लगी।

आगे की स्‍लाइड्स में पढ़ें जब राहुल ने काटे पीके के पर ...

धीरे-धीरे अधिकारों में हुई कटौती

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पोल स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांत किशोर यानी पीके के पर कतर दिए थे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल ने यूपी कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद को फ्री हैंड देने के लिए पीके के अधिकारों में धीरे-धीरे कटौती का फैसला किया। नारे गढ़ने और बूथ प्रबंधन का काम भी किया था। कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि यूपी की राजनीति बिहार से अलग। उसे बिहार के पैरामीटर पर नहीं चलाया जा सकता।

माहौल न बना पाना बड़ी वजह

कुछ महीने पहले यूपी में कांग्रेस के प्रचार की कमान संभालने वाले प्रशांत किशोर पार्टी के पक्ष में माहौल नहीं बना सके। पार्टी की बस यात्राओं से भी कुछ नहीं हुआ। ऐसे में उनके प्रयोग और सलाह किसी काम के नहीं दिखे और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है। इसके अलावा निचले स्तर तक ये संदेश पहुंचा कि पीके की टीम ही टिकट तय करेगी। इससे भी कार्यकर्ता रोष में दिखे। कार्यकर्ताओं ने कहा कि इस कॉरपोरेट कल्चर से तो यूपी में पार्टी डूब जाएगी। घोर निराशा उनमें छा गई और बीएसपी, सपा और बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस अभी से बाहर दिखने लगी।

 

Tags:    

Similar News