गोरखपुर: हालिया दौर में देश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बढ़ते जनाधार से घबराए विपक्षी दल अब एक होने की कवायद में जुटे हैं। इसी कोशिश में उत्तर प्रदेश के लिए रविवार (04 मार्च) का दिन खास रहा। यहां एक-दूसरे की विरोधी माने जाने वाली पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने हाथ मिलाया है। इसी के तहत अब बसपा, सपा को गोरखपुर लोकसभा उप चुनाव में समर्थन देगी।
बसपा के समर्थन से प्रदेश का सियासी पारा गरमाने लगा है। इस नई रणनीति के तहत उप चुनाव में जिस तरह बसपा ने सपा का साथ दिया है उससे कहीं ना कहीं बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है।
गौरतलब है कि गोरखपुर योगी आदित्यनाथ की कर्मस्थली है। बसपा-सपा की कोशिश यहां सेंधमारी की है। इसीलिए बसपा ने साइकिल पर सवार होने का फैसला लिया। राज्य की दोनों विरोधी पार्टियों ने योगी को उन्हीं के गढ़ में शिकस्त देने की रणनीति बनाई है। इसके तहत निषाद पार्टी, पीस पार्टी के प्रत्याशी को पहले समाजवादी पार्टी ने अपना समर्थन दिया और अब बसपा ने सपा को समर्थन देकर एक मंच से योगी के किले को ध्वस्त करने का ऐलान किया।
जानकार मानते हैं, कि गोरखपुर सीट के उपचुनाव में योगी के गढ़ को ध्वस्त करने में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को अपना समर्थन देकर भारतीय जनता पार्टी की राह में रोड़ा अटकाने का काम किया है। जिस तरह एक के बाद एक राज्यों में बीजेपी अपनी सरकार को बनाने में सफल हुई है उससे बिरोधी खेमे में हड़कंप मचा है। अब विपक्षी पार्टियां अपना वजूद बचाने के लिए गठबंधन का सहारा ले रही है। यही वजह है की आज सपा, बसपा से हाथ मिलाने को मजबूर है। वहीं, बसपा इस कोशिश को 2019 में 'महागठबंधन' बनाने की तरफ इशारा दे रही है।
इसी क्रम में रविवार को गोरखपुर उपचुनाव के मद्देनजर बसपा ने बड़ा ऐलान किया। बसपा के जोनल कोर्डिनेटर घनश्याम खरवार ने जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मंच से ये ऐलान किया। उन्होंने कहा, बसपा, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को उपचुनाव जिताने में मदद करेगी।