नई दिल्लीः सरकारी और निजी बैंकों के कर्मचारी आज हड़ताल पर रहेंगे। इससे देशभर में बैंकिंग सेवाओं के प्रभावित होने के आसार हैं। केंद्र सरकार की बैंकों से जुड़ी कई नीतियों के खिलाफ कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं। ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटाचलम ने कहा कि इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) की ओर से यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के 9 यूनियन को हड़ताल में शामिल होने से रोकने के बारे में कोई खबर नहीं है।
पहले टाल दी थी हड़ताल
-बैंक स्टाफ यूनियनों ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर 12 और 13 जुलाई को हड़ताल टाल दी थी।
-उस वक्त ये हड़ताल पांच सरकारी बैंकों को स्टेट बैंक में जोड़ने और आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के खिलाफ होनी थी।
-बैंक कर्मचारी संसद सत्र के दौरान हड़ताल कर रहे हैं, ताकि सरकार तक उनकी बात जोरदार ढंग से पहुंचे।
इस बार क्या हैं हड़ताल के मुद्दे?
-अनुचित बैंकिंग सुधार के उपाय के खिलाफ उठ रही है आवाज।
-आईडीबीआई बैंक के निजीकरण और सरकारी पूंजी 49 फीसदी से कम करने का विरोध।
-सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण और निजी बैंकों का विस्तार।
-कॉरपोरेट्स को बैंकिंग लाइसेंस देने, फंसे कर्ज की वसूली के कदम न उठाने के खिलाफ भी कर्मचारी एकजुट।
कितना है बैंको का बकाया?
-31 मार्च 2016 तक बैंकों का 5 लाख 39 हजार 995 करोड़ का कर्ज फंसा हुआ है।
-बैंक कर्मचारियों के मुताबिक सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है।
-रिजर्व बैंक पर भी ढीला रवैया रखने का कर्मचारियों ने आरोप लगाया है।