गोरखपुर: बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में दर्ज मुकदमे की फाइल गोरखपुर पुलिस को मिलने के बाद अब आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही की तैयारी पुलिस ने शुरू कर दी है। निलंबित प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र और उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया गया है।
एसटीएफ ने मंगलवार को कानपुर के साकेत नगर मोहल्ले से दोनों को गिरफ्तार किया था। उन्हें पूछताछ के लिए गोरखपुर ले जाया जा रहा है। एसटीएफ अन्य आरोपियों भी गिरफ्तार की कोशिश में जुटी है।
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घर से फरार मिले कफील
इस बीच इसी मामले के एक अन्य आरोपी और कॉलेज के इंसेफलाइटिस वार्ड के प्रभारी डॉ. कफील खान की गिरफ्तारी के लिए गोरखपुर में एसटीएफ की टीम ने तुर्कमानपुर राजघाट में उनके आवास पर सोमवार रात और मंगलवार को दिन में छापेमारी की थी लेकिन वह फरार हैं। अभी तक उनका अता-पता नहीं चल सका है। पुलिस इनके अलावा अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है।
गौरतलब है कि सरकार के निर्देश पर मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। लखनऊ पुलिस ने विशेष गवाह से बीते गुरुवार को ही यह फाइल गोरखपुर भेज दी थी।
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9 लोगों को अभियुक्त बनाया गया
जांच रिपोर्ट में मुख्य सचिव ने 4 आरोपियों पर आपराधिक कार्रवाई की संस्तुति की थी, लेकिन महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण केके गुप्ता की तहरीर पर उन सभी 9 लोगों को इस मामले में अभियुक्त बनाया गया है जिन्हें राजीव रौतेला ने अपनी रिपोर्ट में घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
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ये सभी हैं मामले के अभियुक्त
निलंबित प्रचार्य डॉ. राजीव मिश्र और उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला, ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले एजेंसी पुष्पा सेल के संचालक मनीष भंडारी, एनीमिया के विभागाध्यक्ष डॉ.सतीश कुमार और इंसेफलाइटिस वार्ड के नोडल प्रभारी पद से हटाए गए डॉ.कफील, चीफ फार्मासिस्ट गजानंद जायसवाल, कनिष्ठ सहायक लिपिक लेखा अनुभाग उदय प्रताप शर्मा, सहायक लिपिक लेखा संजय कुमार त्रिपाठी, सहायक लेखाकार सुधीर कुमार पांडे को इस मामले में अभियुक्त बनाया गया है। घटनास्थल गोरखपुर होने की वजह से मुकदमे की विवेचना वहां के गुलरिया को थाने भेज दी गई थी
क्या है मामला?
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10-11 अगस्त की रात हुई बच्चों की मौत के बाद ऑक्सीजन की कमी की बातें सामने आने पर यूपी के मुख्य सचिव राजीव कुमार के नेतृत्व में गठित चार सदस्यीय कमेटी में ऑक्सीजन की कमी के लिए 4 लोगों को दोषी मानते हुए आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की थी। मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में मुकदमा दर्ज हुआ। आरोपी उन सभी लोगों को बनाया गया जिन्हें इसके पहले गोरखपुर के जिलाधिकारी की रिपोर्ट में दोषी ठहराया गया था। महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण केके गुप्ता की तहरीर पर 23 अगस्त की रात हजरतगंज कोतवाली में इस मामले में मुकदमा दर्ज हुआ। मुकदमों की फाइल 24 अगस्त को गोरखपुर भेजी गई।