भारत की रेटिंग बढ़वाने के लिए मोदी सरकार ने मूडीज से की थी लॉबिंग, निराशा लगी हाथ
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने दुनिया की टॉप रेटिंग एजेंसियों में से एक मूडीज से भारत की रेटिंग बढ़वाने के लिए लॉबिंग की थी, लेकिन उसे इसमें सफलता हाथ नहीं लगी थी। बताया जाता है मूडीज ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। रेटिंग एजेंसी ने इसके पीछे भारत के ऋण स्तर और बैंकों के नाजुक हालत को प्रमुख बिंदु बताया था। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कई दस्तावेजों की समीक्षा के बाद इस बात की जानकारी दी है।
खबरों की मानें, तो वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर में कई चिट्ठी और ईमेल के जरिए रेटिंग एजेंसी मूडीज की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे। इनमें कहा गया था कि हाल के सालों में भारत के कर्ज स्तर में नियमित तौर पर कमी आई है। लेकिन मूडीज ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
भारतीय विकास स्तर को नजरअंदाज किया
वित्त मंत्रालय ने कहा, 'मूडीज जब विभिन्न देशों की राजकोषीय ताकत की समीक्षा कर रही थी तो उसने इन देशों के विकास स्तर को नजरअंदाज कर दिया।' केंद्र सरकार ने इसके लिए जापान और पुर्तगाल का उदाहरण दिया था। अपनी अर्थव्यवस्था से करीब दोगुना कर्ज होने के बावजूद इन देशों की रेटिंग बढ़िया थी।
भारत में ऋण संबंधी हालात बढ़िया नहीं
वित्त मंत्रालय के इन आरोपों को मूडीज ने खारिज किया है। मूडीज का कहना है कि भारत के ऋण संबंधी हालात इतने बढ़िया नहीं हैं, जितना सरकार बता रही है। मूडीज ने भारत के बैंकों को लेकर भी चिंता जाहिर की थी। मूडीज की एक प्रमुख स्वतंत्र विश्लेषक मेरी डिरॉन ने कहा, 'दूसरे देशों के मुकाबले भारत का ना सिर्फ कर्ज संकट ज्यादा बड़ा है बल्कि कर्ज वहन करने की इसकी क्षमता भी काफी कम है।'
वित्त मंत्रालय ने टिप्पणी से इंकार किया
मेरी डिरॉन से जब इस संबंध में और पूछा गया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि 'रेटिंग संबंधी बातचीत सार्वजनिक नहीं की जा सकती है।' दूसरी तरफ, वित्त मंत्रालय ने भी इस बारे में कमेंट करने से इनकार कर दिया।