सीआईआई-आईबीए का सर्वेक्षण: पहली तिमाही में सुधरेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

Update:2017-05-21 19:13 IST
सीआईआई-आईबीए का सर्वेक्षण: पहली तिमाही में सुधरेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली: देश के अग्रणी उद्योग मंडल सीआईआई ने अपने हालिया सर्वेक्षण के हवाले से रविवार (21 मई) को कहा, कि बेहतर वित्तीय लिंकेज की बदौलत भारत की अर्थव्यवस्था में मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बहुआयामी सुधार होगा। सीआईआई ने कहा है कि उपलब्ध पूंजी और घरेलू आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि होगी।

सीआईआई ने एक बयान में कहा, 'सीआईआई-आईबीए की वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही के लिए वित्तीय स्थिति सूचकांक 56.9 है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुआयामी सकारात्मकता को दिखता है।'

सर्वेक्षण में 31 बैंक और वित्तीय संस्थान शामिल

सीआईआई ने इंडियन बैंक्स सर्विसेज (आईबीए) के साथ संयुक्त रूप से यह सर्वेक्षण किया है। इसमें 31 बैंकों और वित्तीय संस्थानों को शामिल किया गया। हालांकि, सर्वेक्षण में निकट भविष्य में तरलता में कमी आने के कारण पूंजी लागत में वृद्धि होने का संकेत भी दिया गया है।

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ब्याज दरों में हो सकती है वृद्धि

सीआईआई का कहना है, 'पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में फंड कॉस्ट इंडेक्स 66 था, जिसके इस वर्ष घटकर 40.3 पर रहने की संभावना है। अधिकतर लोगों ने ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना जाहिर की।'

ये कहा सीआईआई के महानिदेशक ने

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, 'वित्तीय स्थिति सूचकांक में सुधार भारतीय वित्त बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है, जिसका मुख्य कारण खपत में वृद्धि, बुनियादी ढांचे पर खर्च में वृद्धि और जीएसटी जैसे अहम सुधार होंगे।'

दिनोंदिन बढ़ रहा बुरे ऋण का बोझ

केंद्र सरकार ने हाल ही में बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन से संबंधित अध्यादेश जारी कर वाणिज्यिक बैंकों को बुरे ऋण के निपटान को तेज करने का आदेश देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिकारों में इजाफा किया है। सरकारी बैंकों पर पिछले वर्ष सितंबर तक बुरे ऋण का बोझ बढ़कर 6.3 लाख करोड़ रुपए हो गया था। इस सर्वेक्षण में शामिल बैंकों और वित्तीय संस्थानों की संयुक्त रूप से संपत्ति 60 लाख करोड़ रुपए से अधिक है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि बाजार में अतिरिक्त तरलता आने और जमा राशि पर ब्याज में कटौती करने के बावजूद, विभिन्न बैंकों द्वारा दिए गए कर्जो पर मिलने वाले मार्जिनल कॉस्ट में मामूली कमी आई है।

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