Exclusive: दद्दू प्रसाद- यह गठबंधन राज्यसभा चुनाव तक, नेता स्वार्थ छोड़ें..

Update:2018-03-05 14:57 IST
दद्दू प्रसाद

अनुराग शुक्ला

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजनीति के नए प्रयोग की उम्र तभी बढ़ सकती है जब नेता अपना स्वार्थ छोड़कर समाज का हित सोचें, वर्ना यह गठबंधन महज राज्यसभा तक ही चल सकेगा। यह मानना है कभी मायावती के करीबी रहे और अब बसपा छोड़ चुके दद्दू प्रसाद का।

newstrack.com/अपना भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में दद्दू प्रसाद ने इशारों-इशारों में कई बातें कहीं। उनके मुताबिक, नेता को लोकनायक होना चाहिए, स्वार्थी नहीं। दद्दू प्रसाद बसपा में मायावती के करीबी नेताओं में शुमार थे पर मायावती पर पैसे लेने का आरोप लगाते हुए वह पार्टी छोड़कर अपना राजनीतिक मोर्चा बना चुके हैं। पेश है उनसे एक्सक्लूसिव बातचीत

newstrack.com/अपना भारत- बसपा के सपा को दिए समर्थन या कहें इस गठबंधन पर आप क्या कहेंगे?

दद्दू प्रसाद- यह गठबंधन को राज्य सभा चुनाव को ध्यान में रखकर बना है। यह तो मायावती जी की प्रेस कांफ्रेंस से ही जाहिर हो रहा है।

newstrack.com/अपना भारत- आपको लगता है कि यह समर्थन आगे गठबंधन का रूप ले सकता है?

दद्दू प्रसाद- देखिए यह गठबंधन वक्त की जरूरत है। इसे होना भी चाहिए। पर इसे खाद-पानी तभी मिलेगा जब नेता समाज का हित देंखें, खुद का नहीं। नेता स्वार्थी बने तो यह गठबंधन नहीं चल सकता है। नेता अगर समाज के प्रति समर्पित रहे तो यह गठबंधन चलेगा। वर्ना अभी तो लगता है कि यह राज्यसभा को लेकर किया गया गठबंधन है।

newstrack.com/अपना भारत- अगर बसपा-सपा का गठबंधन हुआ तो इसका राजनीति पर क्या असर पड़ने वाला है?

दद्दू प्रसाद- देखिए, नेता को नेता होना चाहिए। बल्कि उसे 'नायक' और 'लोकनायक' होना चाहिए। मैंने इन शब्दों का इस्तेमाल किया, क्योंकि आजकल नेता शब्द की तो कोई इज्जत नहीं रह गई है। नेता लोकनायक हुआ तो यह गठबंधन सिर्फ लोकसभा नहीं 2022 के विधानसभा चुनाव तक भी चलेगा। यह वक्त की जरूरत है।

newstrack.com/अपना भारत- इस गठबंधन के नेताओं के बारे में आप क्या कहेंगे?

दद्दू प्रसाद- मैं किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं करता, पर यह सच है कि गठबंधन करने वाले नेता अगर स्वार्थी होंगे जिन्हें समाज से ज्यादा अपनी चिंता है तो यह गठबंधन लोकसभा नहीं सिर्फ राज्यसभा तक ही चलेगा।

newstrack.com/अपना भारत- इस समर्थन की क्या उम्र देखते हैं?

दद्दू प्रसाद- देखिए, समाज की चिंता करने वाले नेता और उनकी सोच ही यह उम्र तय करेगी। यह समय पर छोड़ देना चाहिए। पर निजी स्वार्थ पर हुआ गठबंधन लंबा नहीं चल सकता। यह राज्यसभा के बाद कितना आगे चलेगा, यह नेताओं की नीयत तय करेगी।

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