नई दिल्ली: ब्रिटेन में ऐतिहासिक जनमत संग्रह के नतीजे शुक्रवार को आ गए हैं। ब्रिटेन की जनता ने यूरोपियन यूनियन को छोड़ने का फैसला किया है। 'लीव' यानी ब्रिटेन के ईयू का हिस्सा नहीं रहने के पक्ष में 51.9 फीसदी (17,410,742) लोगों ने वोट किया। वहीं 'रीमेन' यानी संघ का हिस्सा बने रहने के पक्ष में 48.1 फीसदी (16, 141, 241) वोट ही पड़े। हालांकि मतगणना के दौरान कांटे की टक्कर देखी जा रही थी। इस नतीजे के बाद ब्रिटेन के पीएम डेविड कैमरन ने ऐलान किया कि वह अक्टूबर में पद छोड़ देंगे।
आखिर ब्रिटेन में ईयू से अलग होने की क्यों उठी मांग?
-ग्रेट ब्रिटेन में 2008 की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई थी।
-देश में बेरोजगारी दर बढ़ी जो कि बड़ा मुद्दा बनी कि 'क्या ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाना चाहिए'?
-इस मांग को 2015 में ब्रिटेन में हुए आम चुनावों में यूनाइटेड किंगडम इंडिपेंडेंस पार्टी (यूकेआईपी) ने उठाया।
-इनका मानना है कि अगर ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाएगा तो देश की सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
EU से बाहर जाने के पक्ष में ये थे तर्क
-EU ब्रिटेन पर अपने क़ानून थोपता रहा है ब्रिटेन में 50% से ज्यादा कानून EU के थे।
-ब्रिटेन पर सालाना 33 अरब पाउंड का बोझ
-मुक्त व्यापार संधियां करना अभी मुश्किल
-EU के साथ व्यापार समझौते कारगर नहीं
-EU के मुकाबले ब्रिटेन का बाकी दुनिया को दोगुना निर्यात
-EU में रहने से प्रवासियों की तादाद बढ़ी
-प्रवासियों ने ब्रिटिश लोगों के रोज़गार के मौके छीने
-बाहर निकलने से ब्रिटेन का पैसा बचेगा
-EU में लगाए पैसे का सिर्फ आधा ही वापस
ब्रिटेन के लिए क्या है संकट
-पुरानी हैसियत नहीं बची, ईयू में जर्मनी-फ्रांस अहम, प्रवासियों का नया संकट,ब्रिटेन में बढ़ती बेरोज़गारी
-दूसरों के संकट का असर, बीते दिनों यूनान में आया था संकट, कंजर्वेटिव अलग होने के पक्ष में,ब्रिटेन फर्स्ट की मुहिम
क्या है यूरोपियन यूनियन
28 यूरोपीय देशों का संघ
1993 में वजूद में आया
पहले 15 देश शामिल थे
यूनियन की अपनी मुद्रा यूरो
19 देशों की साझा मुद्रा यूरो
50 करोड़ से ज़्यादा की आबादी
एक वीज़ा पर पूरे ईयू में प्रवेश
साझा कारोबार का फ़ायदा