GST की 4 दरें लागू करने का प्रस्ताव, लक्जरी सामानों पर देना होगा सबसे ज्यादा टैक्स

Update:2016-10-19 13:18 IST

नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी परिषद ने वस्तुओं और सेवाओं की संभावित दरें पेश की हैं। जीएसटी के तहत 6, 12, 18 और 26 प्रतिशत तक टैक्स रखा जा सकता है। इसमें सबसे निचली दरें आवश्यक वस्तुओं के लिए होंगी जबकि सबसे उंची दर विलासिता से जुड़े सामानों के लिए। इसके अलावा अतिरिक्त टैक्स लगाने के प्रस्ताव भी दिए गए हैं। गौरतलब है कि जीएसटी परिषद की तीन दिन की बैठक के पहले दिन जीएसटी दर ढांचे के पांच विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।

50 फीसदी वस्तुओं पर कर न लगाने का प्रस्ताव

-मुद्रास्फीति को काबू करने के लिए केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि खाद्य वस्तुओं पर कर की छूट को जारी रखा जाए।

-आम इस्तेमाल की 50 प्रतिशत वस्तुओं पर या तो कर न लगाया जाए या फिर कर की निचली दर लगाई जाए।

-इसके अलावा 70 फीसदी तक वस्तुओं को 18 प्रतिशत तक की निचली कर स्लैब में रखने के प्रस्ताव दिए गए हैं।

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सिगरेट, लक्जरी कारों 26 प्रतिशत टैक्स संभव

-बेहद लक्जरी की श्रेणी में आने वाले उत्पादों और अहितकर वस्तुओं जैसे सिगरेट, तंबाकू, एरेटेड ड्रिंक्स, लक्जरी कारों और प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर 26 प्रतिशत की जीएसटी दर के साथ उपकर लगाने के भी प्रस्ताव हैं।

-सोने पर चार प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है।

-एफएमसीजी और टिकाऊ उपभोक्ता सामनों पर जीएसटी व्यवस्था में 26 प्रतिशत तक कर लगाने का प्रस्ताव है।

-गौरतलब है अभी इन उत्पादों पर 31 प्रतिशत की दर लगती है।

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विचार-विमर्श जारी रहेगा

-जीएसटी परिषद की तीन दिन की बैठक के पहले दिन जीएसटी दर ढांचे के पांच विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।

-जेटली ने कहा कि अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है और विचार-विमर्श कल भी जारी रहेगा।

-केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पत्रकारों से कहा कि मुआवजे के लिए राज्यों को राजस्व की तुलना का आधार वर्ष 2015-16 होगा।

-पहले पांच साल में राज्यों में राजस्व में 14 प्रतिशत वार्षिक की दीर्घावधिक वृद्धि दर को सामान्य माना जाएगा।

-उसकी तुलना में यदि राजस्व कम रहा तो केंद्र की ओर से संबंधित राज्य को उसकी भरपाई की जाएगी।

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ये कहना है राज्य अधिकारियों का

-बैठक में राज्य के अधिकारियों का कहना है कि लक्जरी और अहितकर वस्तुओं पर उपकर से 50,000 करोड़ रुपए का कोष बनाया जाएगा।

-इससे राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई की जाएगी।

-अधिकारियों का कहना है कि केंद्र जीएसटी मुआवजे की गणना के लिए राज्यों द्वारा कर में दी गई छूट को शामिल करने को तैयार नहीं है।

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राज्यों का विरोध भी

-बैठक में केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा, 'राज्य सरकार चाहती है कि ऊंची दरों वाले उत्पादों के लिए कर की दर 30 प्रतिशत तय की जाए।'

-इससे आम आदमी के काम में आने वाले उत्पादों को कर से छूट दी जा सके या उन पर निचली दर के कर लगें।

-दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि राज्यों ने केंद्र के 26 प्रतिशत के कर स्लैब का विरोध किया है।

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