सुर्खियों में सोमनाथ:.. इसलिए नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को मंदिर जाने से रोका था?

Update: 2017-11-30 10:57 GMT
सुर्खियों में सोमनाथ: जानते हैं क्यों नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को मंदिर जाने से रोका था?

विनोद कपूर

लखनऊ: गुजरात का सोमनाथ मंदिर सालों बाद एक बार फिर चर्चा में है। इसे चर्चित बनाया है कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने। राहुल बुधवार को मंदिर में दर्शन करने गए थे। इसी दौरान पार्टी के मीडिया प्रभारी ने अहमद पटेल के साथ उनका नाम भी उस रजिस्टर में लिख दिया, जो गैर हिन्दुओं के लिए है।

हालांकि, सोमनाथ मंदिर में गैर हिंदुओं के जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन उनको अपना नाम एक रजिस्टर में दर्ज कराना होता है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात चुनाव में लगातार मंदिरों में शीश नवा रहे हैं। अब तक वो 21 मंदिरों में जा चुके हैं। गुजरात चुनाव में न तो मुसलमानों की बात हो रही है और न उनके हितों के रक्षा की ही।

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पलट गया इतिहास का पन्ना

बात तो मंदिरों की भी नहीं हो रही, लेकिन उनके इस मंदिर में जाने से इतिहास के कुछ पन्ने पलट दिए हैं। राहुल, गांधी-नेहरू परिवार के पहले सदस्य हैं जो सोमनाथ मंदिर गए। विवाद उनके जाने पर नहीं, बल्कि उस रजिस्टर पर नाम डालने से हुआ जो गैर हिंदुओं के लिए रखा गया है।

इसी मंदिर की वजह से बढ़ा आडवाणी का कद

बता दें, कि इस मंदिर का अपना महत्व है। धार्मिक भी और राजनीतिक तौर पर भी। बीजेपी का ग्राफ लालकृष्ण आडवाणी की इस मंदिर से 1990 में अयोध्या की यात्रा से ही बढ़ा था। आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को इस मंदिर से अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की थी। वो गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश के बाद बिहार पहुंचे थे। एक महीने की यात्रा में वो रोज पांच से छह जनसभाओं को संबोधित करते। केंद्र में उस वक्त विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) की मिलीजुली सरकार थी, जिसे बीजेपी बाहर से समर्थन दे रही थी। बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव ने वीपी सिंह के आदेश के बाद आडवाणी को समस्तीपुर में 25 अक्तूबर को गिरफ्तार कर लिया और अब के झारखंड के मसानजोर में बने गेस्ट हाउस में रखा।

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ये है सोमनाथ का इतिहास

सोमनाथ मंदिर को महमूद गजनी ने 17 बार लूटा था। इसके बाद, सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1940 को सोमनाथ के नवनिर्मित मंदिर की आधारशिला रखी थी। 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिंग स्थापित किया था। सोमनाथ मंदिर 1962 में पूर्ण निर्मित हो गया था।

मोदी ने ट्विट से ली थी चुटकी

पीएम नरेंद्र मोदी ने राहुल के सोमनाथ दौरे के बाद कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा, कि जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद को यहां सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन करने के लिए आना था, तो इस पर पंडित नेहरू ने नाखुशी जताई थी। क्या देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ मंदिर जाने से मना किया था? अगर ऐसा था तो इसके पीछे क्या वजह थी?

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..तो इसलिए किया था नेहरू ने विरोध

बात 1947 की है। जब आजादी के बाद सभी रियासतों के विलय का दौर चल रहा था। जूनागढ़ रियासत के राजा ने भौगोलिक स्थिति को दरकिनार करते हुए फैसला लिया था, कि रियासत का विलय पाकिस्तान में ही होगा। लेकिन भारत के तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जानते थे कि इसकी इजाजत देना देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने की तरह होगा। सोमनाथ मंदिर के एक कार्यक्रम में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को आमंत्रित किया गया था लेकिन नेहरू नहीं चाहते थे कि देश के राष्ट्रपति किसी धार्मिक कार्यक्रम में शरीक हों। नेहरू का दृष्टिकोण था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और राष्ट्रपति के इस तरह के कार्यक्रमों में शामिल होने से लोगों के बीच गलत संकेत जाएगा।

ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम सोमनाथ

हिन्दू धर्म में सोमनाथ का अपना अलग ही स्थान है। सोमनाथ का मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है।

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यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था

पौराणिक कथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया। यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे तभी शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख जानकर तीर मारा था। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।

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इतिहास के बाद ऐसे बढे वर्तमान की ओर

सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्ज़ा किया, तो इसे पांचवीं बार गिराया गया। मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः 1706 में गिरा दिया। इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया। पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। 1970 में जामनगर की राजमाता ने अपने पति की स्मृति में उनके नाम से 'दिग्विजय द्वार' बनवाया। इस द्वार के पास राजमार्ग है और पूर्व गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है।

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