यश भारती: HC ने चयन प्रक्रिया पर खड़े किए सवाल, मनमाने तरीके से नहीं बांट सकते अवाॅर्ड

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा यश भारती पुरस्कारों के लिए नाम चयन करने के तौर तरीके पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने कहा कि पुरस्कार के लिए धनराशि सरकारी खजाने से टैक्स पेयर्स के पैसे से दी जाती है तो ऐसे में अवाॅर्ड चयन के लिए एक पारदर्शी प्रकिया का होना अनिवार्य है। अवाॅर्ड के लिए लोगों का नाम मनमाने तरीके से चयनित नहीं किया जा सकता है।

Update: 2016-12-21 14:25 GMT

लखनऊ: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा यश भारती पुरस्कारों के लिए नाम चयन करने के तौर तरीके पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने कहा कि पुरस्कार के लिए धनराशि सरकारी खजाने से टैक्स पेयर्स के पैसे से दी जाती है तो ऐसे में अवाॅर्ड चयन के लिए एक पारदर्शी प्रकिया का होना अनिवार्य है। अवाॅर्ड के लिए लोगों का नाम मनमाने तरीके से चयनित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने राज्य सरकार से अवाॅर्ड के लिए तय किए गए पैरामीटर के बारे में पूछा है। इसके साथ ही कोर्ट ने सांस्कृतिक विभाग के सचिव को आगामी 23 जनवरी को समन किया है। कोर्ट ने उनको अवाॅर्ड से जुड़े सभी दस्तावेजों को भी पेश करने का आदेश दिया है। जिससे यह पता चलेगा कि आखिर सरकार के चयन का तरीका क्या है। यह आदेश जस्टिस डी के अरेाड़ा और जस्टिस राजन राय की बेंच ने एक स्थानीय एनजीओ सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर पारित किया।

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याचिका में क्या मांग की गई है ?

-साल 2012 से साल 2016 के बीच दिए गए सभी यश भारती पुरस्कारों की पात्रता की जांच हाई कोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज की कमेटी से कराई जाए।

-जांच में अनियमितता पाए जाने पर सभी अवाॅर्डीज से पुरस्कार की धनराशि वापस वसूली जाए।

क्या है याची का तर्क ?

-सरकार यश भारती अवाॅर्ड पाने वाले को सरकारी खजाने से 11 लाख रुपए कैश और भारी धनराशि पेंशन के रूप में प्रति माह दे रही है।

-जबकि अवाॅर्ड ने वाले का चयन मनमाने और विभेदकारी तरीके से किया जा रहा है।

-मात्र चहेतों को उपक्रम करने के लिए अवार्ड की महत्ता को न्यून कर उसका मजाक उड़ाया जा रहा है।

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कोर्ट ने क्या कहा ?

-सुनवाई के दौरान बेंच का मानना था कि इन पुरस्कारों के लिए पब्लिक मनी का उपयेाग होता है।

-जिसे मनमाने तरीके से नहीं दिया जा सकता है।

-कोर्ट की संज्ञान में जब आया कि पहले भी इसी संदर्भ में एक अन्य याचिका आईपीएस ऑफिसर अमिताभ ठाकुर ने दायर की थी

-जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को इस पुरस्कार के लिए चयन का तरीका और उसकी पात्रता के बावत जवाब तलब किया था

-मगर आज तक राज्य सरकार द्वारा उक्त जवाब नहीं दिया गया

-इस पर बेंच का रवैया काफी तीखा हो गया।

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