बेंगलुरू: भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक यू.आर. राव का सोमवार को निधन हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की। राव 1984 से 1994 तक इसरो के अध्यक्ष रहे थे।
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देश का पहला सेटेलाईट आर्यभट्ट बनाने वाले मशहूर अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इसरो के पूर्व प्रमुख प्रो यू आर राव का निधन हो गया। राव को दिल की बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने देर रात 2.30 बजे अंतिम सांस ली। पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी उनके निधन पर दुख जताया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम में राव का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
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राव को पूरे विश्व में उनके काम के लिए जाना जाता है। वे इसरो के कई सफल प्रक्षेपणों का हिस्सा रहे हैं । आर्यभट्ट से मंगल ग्रह के मिशन तक राव ने इसरो की कई परियोजनाओं पर काम किया।
यू आर राव के नेतृत्व में ही 1975 में पहले भारतीय उपग्रह 'आर्यभट्ट' से लेकर 20 से अधिक उपग्रहों को डिजाइन किया गया और सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया गया। राव ने भारत में प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी का विकास भी तेज किया, जिस वजह से 1992 में एएसएलवी का सफल प्रक्षेपण किया गया।
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राव को उनके उत्कृष्ट काम के लिए इस साल जनवरी में 'पद्म विभूषण' प्रदान किया गया था। पुरस्कार मिलने के बाद राव ने कहा था कि उन्होंने सोचा था कि ये पुरस्कार उन्हें 'मरणोपरांत' मिलेगा। इसके अलावा अंतरिक्ष विज्ञान में अहम योगदान के लिए भारत सरकार ने यू आर राव को 1976 में 'पद्म भूषण' से भी सम्मानित किया था।
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उडुपी के एक छोटे से गांव आदमपुर में जन्मे प्रोफेसर राव भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से विक्रम साराभाई के समय से जुड़े थे। उन्होंने 1984 से 1994 के बीच दस साल के लिए इसरो के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।स्पेस और रिसर्च का उनका ज्ञान बेजोड़ था । यही वजह है कि अपनी मृत्यु से पहले तक वे तिरुवनंतपुरम में भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) के कुलपति के पद पर तैनात थे।