नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को संकटग्रस्त अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की तैनाती से इनकार किया। हालांकि उसने अमेरिका के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि वहां आतंक के सुरक्षित पनाहगाहों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत का हालांकि कहना है कि वह युद्धग्रस्त क्षेत्र में स्थिरता लाने में मदद के लिए अपनी विकास गतिविधियां बढ़ाएगा।
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रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी रक्षामंत्री जेम्स मैट्टिस के साथ वार्ता के बाद संवाददाताओं को बताया, "अफगानिस्तान में भारतीय सैनिक तैनात नहीं होंगे।"
सीतारमण ने अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए भारत के योगदान और भारतीय सैनिकों को वहां भेजने जैसे सवालों का जवाब दे रही थीं।
मैट्टिस ट्रंप प्रशासन के पहले उच्चस्तर के अधिकारी हैं, जो भारत के दौरे पर हैं। अमेरिका, अफगानिस्तान में भारतीय सैनिकों की उपस्थिति चाहता है।
सीतारमण ने कहा, "अफगानिस्तान में भारत का योगदान लंबे समय से रहा है। भारत वहां बांधों, स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों और अन्य संस्थानों के निर्माण में सहयोग दे रहा है।"
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उन्होंने कहा, "हम अच्छे सुशासन के लिए उनके अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। भारत वहां अपना योगदान दे रहा है और हम जरूरत पड़ने पर इसमें विस्तार करेंगे।"
मैट्टिस ने कहा कि दो देशों ने आतंकवाद से वैश्विक शांति के लिए खतरे को पहचाना है, और दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों को बर्दाशत नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, "वैश्विक नेता के रूप में भारत और अमेरिका ने इस संकट को जड़ से समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है।"
मैट्टिस ने कहा कि भारत और अमेरिका को आतंकवाद से नुकसान हुआ है और इसके एक पहलू को लेकर सभी देश सहमत हैं कि आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाह नहीं होंगे।
अमेरिकी रक्षामंत्री ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन सीतारमण ने मुंबई और न्यूयॉर्क में हुए आतंकवादी हमलों के पाकिस्तान से तार जुड़े होने की बात कही।
--आईएएनएस